भारत की आजादी के बाद पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार मौजूदा शीर्ष न्यायाधीशों ने शुक्रवार को मीडिया को संबोधित किया। चारों न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को लेकर सवाल उठाए। न्यायाधीश जे. चमलेश्वर ने कहा कि शीर्ष न्यायालय का प्रशासन व्यवस्थित नहीं है और सिस्टम ठीक से नहीं चल रहा है। जजों ने कहा कि लोकतंत्र को संरक्षित करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है।
न्यायाधीश जे. चमलेश्वर ने कहा, ‘हम चारों आज सुबह प्रधान न्यायाधीश से जाकर मिले और उन्हें पत्र सौंपकर अनुरोध किया। हम चाहते थे कि कुछ चीजें खास तरीके से की जाएं। हमने सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था से जुड़ी गड़बड़ियों की शिकायत की और उनसे कहा कि इन चीजों को ठीक किए जाने की जरूरत है।’ न्यायाधीश चमलेश्वर ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरीके से सिस्टम काम कर रहा है उससे उससे केवल यहां का ही नहीं किसी भी देश का लोकतंत्र काम नहीं कर सकता
पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधान न्यायाधीश पर महाभियोग चलाया जाना चाहिए। इस पर चमलेश्वर ने कहा, ‘इस बात का निर्णय देश को करना है।’
न्यायाधीश चमलेश्वर ने कहा, ‘हमें मीडिया से बात करने में खुशी नहीं है लेकिन हम प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए बाध्य हुए। सुप्रीम कोर्ट का सिस्टम ठीक से नहीं चल रहा है, वह व्यवस्थित नहीं है। पिछले कुछ महीनों में अवांछनीय चीजें यहां हुई हैं। इन्हें व्यवस्थित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। हम सीजेआई से मिले और उनसे अनुरोध किया लेकिन हमारे प्रयास विफल हो गए।’
मीडिया के इस सवाल पर कि क्या पत्र में सीबीआई के जज बीएच लोया के मामले का जिक्र है। इस पर न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा-‘हां’, पत्र में एक केस सौंपे जाने का उल्लेख है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के जज कार्यरत रहते हुए मीडिया से बातचीत नहीं करते। सेवानिवृत्त होने के बाद ही किसी मुद्दे पर अपने विचार रखने की उनकी परंपरा रही है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ चार जजों का मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखना अप्रत्याशित कदम है।