स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार बच्चों के शिक्षा के अधिकार को लागू करने के प्रति गंभीर नही है। विद्रोही ने कहा कि धारा 134-ए के तहत गरीब बच्चों को निजी स्कूलों मंे मिलने वाले दाखिले मंे भाजपा सरकार बार-बार अपना स्टैंड बदलकर अप्रत्यक्ष रूप से गरीब बच्चों के हितों की उपेक्षा कर रही है। अब धारा 134-ए के तहत दाखिले के लिए टेस्ट व 55 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता करके एक तरह से शिक्षा के मौलिक अधिकार का मजाक उड़या जा रहा है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा सरकार कभी स्कूलांें मंे गीता पढ़ाने की बात करती है तो कभी नैतिक शिक्षा देने की, लेकिन स्कूलों में शिक्षा का वातावरण सुधरे व स्कूलों मंे नई शिक्षकों की भर्ती हो, आधारभूत ढांाच मजबूत हो, इस दिशा मंे कोई ध्यान नही है। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ जुमला उछाला जाता है, लेकिन गरीबों की बेटियों को स्कूलों मंे दाखिला ही नही मिलेगा तो सरकार के इस नारे का औचित्य ही क्या है? विद्रोही ने कहा कि यदि गरीब बच्चों को शिक्षा के मौलिक अधिकार के तहत पढ़ने व अच्छी शिक्षा लेने का मौका नही दिया जायेगा तो गीता, नैतिक शिक्षा, बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ जैसे शिगुफे का कोई औचित्य नही है। यदि सरकार की नियत गरीबों के बच्चों कोे धारा 134-ए के तहत साधन सम्पन्न व अमीर परिवारों के बच्चों के समान अच्छी शिक्षा देने की होती तो निजी स्कूलों मंे धारा 134-ए के तहत प्रवेश के लिए टेस्ट व 55 प्रतिशत अंक पाने जैसे अड़ेंगे नही लगाती? वहीं जो निजी स्कूल गरीब बच्चों को धारा 134-ए के तहत प्रवेश देने मंे अड़ेंगे डाल रहे है, उन पर कठोर कार्यवाही करके शिक्षा को पैसा कमाने की दुकान समझकर निजी स्कूलों चलाने वालों को कड़ा सबक सिखाते हुए उनके स्कूलों को ही बंद कर देती? विद्रोही नेे प्रदेश भाजपा सरकार से मांग की कि शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब बच्चों को बिना शर्त धार 134-ए के तहत निजी स्कूलों मंे तत्काल प्रवेश दिलवाये और इसका पालना नही करने वाले निजी स्कूलों को बंद किया जाये।
गरीब बच्चों के हितों की हो रही उपेक्षा : विद्रोही
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