ज्योती चौधरीकभी कोई यह क्यों नहीं सोचता है कि प्राकृतिक और स्वाभाविक चीजों को भला कोई रोक सका है क्या! प्यार के नाम पर लोग हीर रांझा और रोमियो जूलियट की मिसाल देते है। मगर जब बात अपने परिवार या समाज की आती है तो वही लोग इसी प्रेम को सबसे बडा गुनाह मान लेते हैं और प्रेमी जोडों का जीना मुहाल कर देते हैं।एक तरफ तो हमारे समाज में आधुनिकता आ रही है वहीं दूसरी तरफ लोगों की सोच इतनी पिछड़ी है कि वह अभी भी पुरानी सदी में जी रहे हैं। सिर्फ रहन सहन में आधुनिकता आ जाने से समाज विकसित नहीं हो जाता। जरुरत है तो उसे अपनी सोच बदलने की। समाज को प्रेमी जोडों के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा। कानून में प्यार करना कोई गुनाह तो नहीं है लेकिन आए दिन इस तरह के किस्से सुनने को मिलते हैं कि घरवालों ने प्रेम संबंधों के चलते युवक या युवती को मार दिया। सोचती हूं ऐसा करते हुए एक बार भी उन लोगों के हाथ नहीं कॉपते जो अपने ही जन्मे बच्चों को बेरहमी से मार देते हैं। घरवालो के साथ साथ समाज भी प्रेमी जोड़ो का दुश्मन बन जाता है। ये समाज का वो चेहरा है जो अपनी झूठी शान के लिए कुछ भी करने को तैयार है।कुछ समय पहले ही हरियाणा के हिसार में एक दलित युवक की इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उसने ऊंची जाति की लड़की से शादी कर ली थी। हत्या के ऐसे मामलों में काफी इजाफा हुआ है। हर राज्य से इस तरह के दर्दनाक मामले सामने आते हैं। हमें ये समझना होगा जाति या धर्म दो लोगों के बीच प्रेम की भावना को रोक नहीं सकता। अगर कोई रोक सकता तो ऐसे मामलों का सिलसिला थम गया होता।हमारे देश में किसी को भी किसी के भी साथ कानूनी तौर पर अपनी मर्जी से साथ रहने का पूरा अधिकार है। बर्शते कि वो नाबालिग न हो। समाज भी इस बात को बखूबी जानता है। लेकिन समाज की दिक्कत सिर्फ और सिर्फ उसकी झूठी शान की है। देश भले ही कितनी ही तरक्की कर रहा हो। मगर जब तक हमारी सोच का दायरा नहीं बढेगा तो हम तरक्की नहीं कर पाएंगे। क्योंकि इमारतों और फ्लाईओवरों के बन जाने से ही विकास नहीं हो जाता।
समाज को जरुरत है सोच का दायरा बढाने की
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