ये कहानी नहीं एक हकिकत है कि एक बच्ची जंगल में बंदरों और दूसरे जानवरों के साथ पली और उन्हीं की जीवन शैली को अपना लिया। जैसे जानवर का बच्चा इंसानों के साथ रहकर बहुत कुछ सीख जाता है। इसी तरह यह अबोध बालिका भी बंदरों के बीच रहकर बंदरिया बन गई। इंसान होने के बावजूद सभी हरकतें और जीवन शैली बंदरों जैसी है।
बचपन में आपने जंगल बुक के पात्र मोगली के बारे में तो सुना ही होगा। एक इंसानी बच्चा जो जंगल में भेड़ियों के बीच रहा, उन्हीं की भाषा बोलता और उन्हीं की तरह छलांग लगता, खाता और पीता. मोगली सिर्फ एक कहानी थी मगर ये बच्ची असल जिंदगी की मोगली निकली। ये घटना है नेपाल की तराई से सटे यूपी के बहराइच की।
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