राजघाट का जिक्र आते ही नई दिल्ली की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि की तस्वीर आंखों के सामने उभर आती है, मगर देश में एक और राजघाट है, जो मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में नर्मदा नदी के तट पर है। यहां बनाई गई समाधि में महात्मा गांधी ही नहीं, कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव रहे महादेव देसाई की देह-राख रखी हुई है।
यह समाधि धरोहर है, मगर इस धरोहर पर विकास का कहर बरपने वाला है। सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर गुजरात सरकार द्वारा सारे गेट बंद किए जाने पर इस समाधि का डूबना तय है।
ऐसे में रीवा यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति और समाजसेवी एसएन यादव ने ‘राजघाट’ को दूसरी जगह पर शिफ्ट करने की कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने इंदौर संभागायुक्त संजय दुबे और स्थानीय कलेक्टर को पत्र लिखा है।
वहीं, खरगोन-बड़वानी सांसद सुभाष पटेल ने भी धार्मिक न्यास विभाग से बात की है। जिसके बाद राजघाट को शिफ्ट करने पर सहमति बन गई है। संभागायुक्त ने कहा है कि जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए राजघाट को शिफ्ट किया जाएगा। उन्होंने स्थानीय लोगों को ही नयी जगह का चयन करने के लिए कहा है, जहां प्रशासन राजघाट को शिफ्ट कर देगा।
देश में बड़वानी में नर्मदा नदी के तट पर स्थित एकलौता ऐसा स्थान होगा, जहां तीन महान लोगों की एक साथ समाधि है। यहां गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी तीनों महान विभूतियों की देह-राख जनवरी 1965 में लाए थे और समाधि 12 फरवरी, 1965 को बनकर तैयार हुई थी। इस स्थल को राजघाट नाम दिया गया। त्रिवेदी ने इस स्थान को गांधीवादियों का तीर्थ स्थल बनाने का सपना संजोया था।
समाधि स्थल पर एक संगमरमर का शिलालेख लगा है, जिसमें 6 अक्टूबर, 1921 में महात्मा गांधी के ‘यंग इंडिया’ में छपे लेख का अंश दर्ज है। इसमें लिखा है, “हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति और हमारा स्वराज अपनी जरूरतें दिनोंदिन बढ़ाते रहने पर, भोगमय जीवन पर, निर्भर नहीं करते, परंतु अपनी जरूरतों को नियंत्रित रखने पर, त्यागमय जीवन पर, निर्भर करते हैं।
गुजरात में सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाकर 138 मीटर की गई है और उसके सारे गेट 31 जुलाई तक पुनर्वास के बाद बंद होना है, इसके चलते मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी के 192 गांव और एक नगर पानी में डूब जाएंगे।