फरारी एक ऐसी लग्जरी स्पोर्ट्स कार है, जिसमें बैठने का सपना हर किसी का होता है। यह सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कारों में से एक है। इसमें आपको बेहतर लुक्स के साथ साथ शानदार परफॉरमेंस भी मिलेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि अगर आप इसे खरीदते हैं तो यह आपके स्टेटस को भी बढ़ा देगी। शायद यही वजह है कि बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी इस कार की चाहत रखते हैं, लेकिन आपको शायद यह बात नहीं मालूम होगी कि फरारी अपने कर्मचारियों को यह कार खरीदने की अनुमति नहीं देती। यह थोड़ी सी अजीब बात हो सकती है, लेकिन है पूरी तरह से सच। चलिए जानते हैं फरारी के कर्मचारी क्यों नहीं खरीद सकते अपनी ही कंपनी की कार।
फरारी कंपनी के चीफ मार्केटिंग एंड कमर्शियल ऑफिसर ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था की क्लाइंट, हमारी कार को खरीदने का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं और ऐसे में ये सही नही है की कार कर्मचारियों को दी जाए क्योंकि इसे लेने का अधिकार सबसे पहले हमारे क्लाइंट का ही होता है।
फरारी सिर्फ फार्मूल वन ड्राइवर्स को ये कार देने की अनुमति देती है और इस वक्त कंपनी के दो कर्मचारियों के पास ही कंपनी की कार है और उनके नाम हैं वीटल और किमी रैक्कों। लेकिन कंपनी ने उनको ये कार बिना डिस्काउंट के दी है।
फेरारी कंपनी की शुरुआत सबसे पहले साल 1939 में हुई थी। साल 1962 में कंपनी ने सबसे महंगी कार का प्रोडक्शन किया था और उस कार का नाम था फेरारी 250 GTO। इस कार को एक बड़े बिजनेसमैन क्रैग मक्काव ने 2012 में USD 35 मिलियन में खरीदा था और यह फेरारी की सबसे महंगी कार थी जिसमें V12 इंजन लगा था।
फरारी हर साल सिर्फ 8 हजार कारें बनती हैं जिनमें से कुछ कारें बिकने के लिए होती हैं। इनकी कीमत 1.2 मिलियन यूरो (9 करोड़ रुपये) होती है।