छठ की पौराणिक कथाओं में जहां एक ओर इसका संबंध महाभारत से बताया गया है, वहीं दूसरी ओर इसका संबंध रामायण से भी दिखाया गया है। महाभारत में जब पांडवों ने जुए में अपना सब कुछ हार दिया तो द्रौपदी ने छठ का व्रत किया था। छठ माता ने कृपा दिखाई और सब कुछ पांडवों के पास आ गया। छठ पर्व में सूर्य की पूजा का संबंध भगवान राम से भी माना जाता है। दरअसल दशहरा से लेकर छठ तक एक क्रम में मनाया जाने वाला त्योहार भगवान राम से भी जुड़ा हुआ है। दशहरा के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। दीपावली के दिन 14 साल के बाद अयोध्या लौटे थे।
दीपावली से छठे दिन भगवान राम ने सीता के संग अपने कुल देवता सूर्य की पूजा सरयू नदी में की थी। भगवान राम ने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि का व्रत रखा और सरयू नदी में डूबते सूर्य को फल, मिष्टान एवं अन्य वस्तुओं से अर्घ्य प्रदान किया। सप्तमी तिथि को भगवान राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद राजकाज संभालना शुरू किया। इसके बाद से आम जन भी सूर्यषष्ठी का पर्व मनाने लगे।
ऐसी मान्यता है कि सुबह, दोपहर और शाम तीन समय सूर्य देव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं। दोपहर में सूर्य की आराधना से नाम और यश बढ़ता है। वहीं शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है। जो डूबते सूर्य की उपासना करते हैं ,वो उगते सूर्य की उपासना भी जरूर करें।
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