‘पंछी नदियां पवन के झोंके’,’संदेशे आते हैं’,’घर से निकलते ही’, ‘एक लड़की को देखा तो’, ‘हर पल यहां जी भर जियो’, ‘मैं जहां रहूं।।मैं कहीं भी हूं’ ये गाने याद हैं आपको।।? इन सभी गानों के बोल हमारे मन को आनंद से भर देते हैं और उन बोल को लिखा है गीतकार जावेद अख्तर ने, जो हिंदी सिनेमा के सबसे सफल लेखकों मे से एक हैं।
ग़जलों को एक नया और आसान रूप देने में जावेद साहब का बहुत बड़ा योगदान रहा है। गजलों के साथ-साथ उन्होंने बॉलीवुड को भी बहुत से यादगार गीत दिये हैं। चलिए बताते हैं जावेद अख्तर के जीवन से जुड़ी कुछ बातें।।
1.जावेद अख्तर का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 17 जनवरी, 1945 को हुआ था। उनके पिता जांनिसार अख्तर प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि थे, इनकी मां सफिया अख्तर मशहूर उर्दु लेखिका और शिक्षिका थीं।
2.जब जावेद अख्तर बहुत छोटे थे तब उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उन्हें अपनी सौतेली मां के साथ भोपाल में रहना पड़ा। फिर उनका पूरा समय उनके दोस्तों के साथ बीतता था
जावेद अख्तर ने यहीं अपनी शुरुआती पढ़ाई और कॉलेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। भोपाल से ही उन्होंने जिंदगी के छोटे-बड़े सबक सीखे।
4.जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी थीं। जिनसे उन्हें दो बच्चे है फरहान और जोया अख्तर हुए। ये दोनों बॉलीवुड के सफल निर्देशक-निर्माता हैं। इसके बाद उन्होंने अभिनेत्री शबाना आजमी से साल 1984 में दूसरी शादी की।
5.जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत साल साल 1966 में आई फिल्म ‘सरहदी लूटेरा’ की थी। इस फिल्म में सलीम खान ने छोटी सी भूमिका भी अदा की थी। इसी के सेट पर उनकी मुलाकात सलीम खान से हुई।
6.इसके बाद दोनों में दोस्ती हुई और इनकी जोड़ी सलीम-जावेद के नाम से बॉलीवुड में फैल गयी, जिसके बाद दोनों ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्म के गाने और संवाद लिखे।
7.इन दोनों की जोड़ी ने साल 1971-1982 तक करीब 24 फिल्मों में साथ काम किया। जिनमे सीता और गीता, शोले, हाथी मेरा साथी, यादों की बारात, दीवार और शोले जैसी सुपरहिट फिल्में शामिल हैं। उनकी 24 फिल्मों में से करीब 20 फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी।
8.साल 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गई। इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा।
9.जावेद अख्तर को उनके गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार दिया गया। साल 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया। साल 2007 में जावेद अख्तर को पद्मभूषण सम्मान से भी नवाजा गया।
10.जावेद अख्तर का असली नाम ‘जादू’ है। उनके पिता की कविता थी, ‘लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा’ से उनका यह नाम पड़ा था। जावेद नाम जादू से मिलता-जुलता, इसलिए उनका नाम जावेद अख्तर कर दिया।