राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में बहुप्रतीक्षित सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 14 मार्च को तय की है। साथ ही सभी पक्षों को दस्तावेज जमा करने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया है। इससे पहले गत वर्ष 5 दिसंबर को हुई सुनवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड और सभी पक्षों की इस अपील को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने आम चुनाव के बाद सुनवाई की दलील दी थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबसे पहले मुख्य याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनी जाएंगी। बाद में अन्य याचिकाकर्ताओं पर सुनवाई होगी। इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इसे भूमि विवाद के तौर पर देखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भावनात्मक और राजनैतिक दलीलें नहीं सुनी जाएंगी। यह केवल कानूनी मामला है। 100 करोड हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान रखने की दलील दी गई थी। कोर्ट में 87 सबूतों को जमा किया गया है। इसमें रामायण और गीता भी शामिल है। कोर्ट ने कहा कि इनके अंशों का अनुवाद किया जाए। यह भी स्पष्ट किया कि राम मंदिर पक्ष से अब कोई नया पक्ष नहीं जुड़ेगा। जिन लोगों की मौत हो चुकी है, उनका नाम हटाया जा रहा है।
पिछली सुनवाई में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने साफ कर दिया था कि इस मामले की सुनवाई नहीं टाली जाएगी। शीर्ष न्यायालय की विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड व अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर सुनवाई अगले आम चुनावों के बाद हो। 5 दिसंबर को मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामले की सुनावाई के लिए इतनी जल्दी क्यों है? हालांकि विशेष पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और अब इस मामले की सुनवाई में देरी नहीं की जाएगी।