शुक्रवार को कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतेहासिक सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को कर्नाटक के लिए 177 टीएमसी पानी छोड़ने का आदेश दिया है पहले प्राधिकरण ने तमिलनाडु को 192 क्यूसेक पानी देने की मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है, नदी पर कोई राज्य अपना दावा नहीं कर सकता।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछले साल 20 सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यह विवाद करीब 120 साल पुराना है।
#CauveryVerdict: SC made it clear that increase in share of Cauvery water for #Karnataka by 14.75 TMC has been done keeping in view the fact that there is an increased demand of drinking water by Bengaluru & also for many industrial activities.
— ANI (@ANI) February 16, 2018
कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के 2007 में दिए गए आदेश को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सीडब्ल्यूडीटी ने 2007 में इस विवाद पर सर्वसम्मति से फैसला दिया था। उसने तमिलनाडु में 192 टीएमसी (1000 मिलियन क्यूबिक) फीट पानी को कर्नाटक द्वारा मेटटूर बांध में छोड़ने के आदेश दिए थे, जबकि कर्नाटक को 270, केरल को 30 और केरल को सात टीएमसी फीट जल आवंटित किया था।
केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों के बीच बढ़ते जल विवादों को देखते हुए अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक को संसद में फिर पेश करेगी। इसमें अधिकरणों के अध्यक्षों, उपअध्यक्षों की आयु और निर्णय देने की समय सीमा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। विधेयक को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरीके लिए पेश किया जाएगा।