त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए के लिए मतगणना का दौर जारी है। इस रूझान में भारतीय जनता पार्टी को राज्य में पहली बार बढ़त देखने को मिल रही है। यहां पर वामपंथियों का पिछले 25 साल का किला ढहता हुआ नजर आ रहा है। पिछले 20 साल के राज्य के मुख्यमंत्री माणिक सरकार के हाथ से सत्ता निकलते हुए दिखाई दे रही है। यहां की 60 सीटों में से बीजेपी 32 जबकि लेफ्ट 27 सीटों पर आगे है। आइये बताते हैं इस नतीजे के पीछे की आखिर क्या है वजह-
1-भाजपा का त्रिपुरा में शानदार प्रदर्शन की एक बड़ी वजह है राज्य में सत्ता विरोधी लहर। पिछले 25 साल से वामपंथियों की सरकार है। लिहाजा, माणिक सरकार के खिलाफ एक सत्ता विरोधी लहर थी।
2-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्रिपुरा में धुआंधार चार रैलियां की है और राज्य सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया है।
3-इतना ही नहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत कई पार्टी के बड़े नेताओं ने यहां पर रैलियां की।
4-विधानसभा चुनाव से ठीक पहले त्रिपुरा में कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर कमल का दामन थामा। इसका भी सीधा फायदा यहां पर बीजेपी को मिला। पिछले चुनाव में यहां पर कांग्रेस को 35 फीसदी वोट मिला था।
5-भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी मतदाताओं पर खासा ध्यान दिया है। पिछले चुनाव में लेफ्ट के पास 51 फीसदी वोटों पर कब्जा था। यहां की 30 फीसदी सिर्फ आदिवासी है और आदिवासी की 20 सीटों पर वामपंथियों का कब्जा था।
सबसे खास बात ये है कि त्रिपुरा में साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ दो फीसदी वोट मिले थे। लेकिन भाजपा ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए यहां के निकाय चुनाव में 221 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी।