शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीशों से कहा है कि वे 2013 के कानून के अनुसार दो महीने के भीतर सभी अदालतों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायतों की जांच के लिए समिति का गठन करें।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल से अनुरोध किया कि वह हाईकोर्ट के साथ ही राजधानी की सभी जिला अदालतों में एक सप्ताह के भीतर ये कमेटियां गठित करें।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड की तीन सदस्यीय बैंच शुक्रवार को एक महिला वकील द्वारा दायर की गई उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया था कि तीस हजारी जिला अदालत परिसर में हड़ताल के दौरान कुछ वकीलों ने उनसे दुर्व्यवहार किया था।
बैंच ने तीस हजारी कोर्ट की महिला वकील और बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से कहा कि वे अपने विवाद मिलजुल कर सुलझाएं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि दोनों ही पक्षों के वकीलों को एक दूसरे के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तार नहीं किया जाए।
बैंच ने दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को दोनों पक्षों के वकीलों की शिकायतों की जांच का निर्देश दिया है। बैंच ने इन दोनों प्राथमिकियों से जुड़े मुकदमे की सुनवाई पटियाला हाउस कोर्ट को स्थानांतरित कर दी और बार के नेताओं से कहा कि वे न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप नहीं करें।