अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी-मस्जिद विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। यह बड़ता ही जा रहा है। राम जन्मभूमि-बाबरी-मस्जिद पर पहले सिर्फ हिंदू-मुस्लिम अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे थे। अब इन दोनों धर्मों के बाद बौद्ध धर्म के लोग भी अपना दावा कर रहे है। बौद्ध समुदाय के कुछ लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया है कि विवादित जमीन बौद्धों की है। सुप्रीम कोर्ट ने बौद्धों की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इसकी सुनवाई मुख्य मुद्दे वाली बेंच ही सुनवाई कर सकती है।
सपा नेता बोले- ‘ऐसा हो तो पत्नी को मार दो या तीन तलाक दो
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी-मस्जिद विवाद खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। यह बड़ता ही जा रहा है। राम जन्मभूमि-बाबरी-मस्जिद पर पहले सिर्फ हिंदू-मुस्लिम अपनी-अपनी दावेदारी कर रहे थे। अब इन दोनों धर्मों के बाद बौद्ध धर्म के लोग भी अपना दावा कर रहे है। बौद्ध समुदाय के कुछ लोगों ने कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया है कि विवादित जमीन बौद्धों की है। सुप्रीम कोर्ट ने बौद्धों की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इसकी सुनवाई मुख्य मुद्दे वाली बेंच ही सुनवाई कर सकती है।अयोध्या में रहने वाले विनीत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में याचिका दायर की है। उन्होंने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा चार बार की जाने वाली खुदाई के आधार पर यह दावा किया है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर अयोध्या में अंतिम खुदाई साल 2002-03 में हुई थी। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पिछले हफ्ते ही दायर की गई है। इसे संविधान के अनुच्छेद 32 (अनुच्छेद 25, 26 और 29 के साथ) के तहत एक दीवानी मामले के रूप में दर्ज किया गया है।कहा गया है कि यह याचिका बौध्द समुदाय के उन सदस्यों की तरफ से दायर की गई है जो भगवान बुद्ध के सिद्धांतों के आधार पर अपनी जीवन जी रहे हैं। याचिका में दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले उस जगह पर बौद्ध धर्म से जुड़ा ढांचा था। मौर्य ने अपनी याचिका में कहा है, ‘एएसआई की खुदाई से पता चला है कि वहां स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवार और खंभे थे। इससे साफ जाहिर होता है कि किसी बौद्घ विहार की विशेषता होते हैं।’बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या जमीन विवाद मामले पर सुनवाई तेज हुई है। माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले पर जल्द सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखकर कभी भी सुना सकता है।
अयोध्या में रहने वाले विनीत कुमार मौर्य ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में याचिका दायर की है। उन्होंने विवादित स्थल पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा चार बार की जाने वाली खुदाई के आधार पर यह दावा किया है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर अयोध्या में अंतिम खुदाई साल 2002-03 में हुई थी। सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका पिछले हफ्ते ही दायर की गई है। इसे संविधान के अनुच्छेद 32 (अनुच्छेद 25, 26 और 29 के साथ) के तहत एक दीवानी मामले के रूप में दर्ज किया गया है।
राजस्थान मॉब लिंचिंग मामले में बीजेपी पर लगे ये गंभीर आरोप