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Dastak India > दस्तक स्पेशल > जानें मराठा समुदाय क्यों कर रहा है आरक्षण की मांग और क्या है सरकार की मुश्किलें
दस्तक स्पेशलहोम

जानें मराठा समुदाय क्यों कर रहा है आरक्षण की मांग और क्या है सरकार की मुश्किलें

dastak
Last updated: 2018/07/25 at 6:07 PM
dastak
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6 Min Read
maharastra maratha reservation protest
ANI Photo
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maharastra maratha reservation protest
ANI Photo

आपने आरक्षण की आग में हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को तो जलते देखा ही होगा। लेकिन अब महाराष्ट्र आरक्षण की आग में सुलग रहा है। यहां मराठा 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। मुबंई सहित महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में बंद बुलाया गया है और कई जगह से हिंसा और बसों को जलाने की भी खबर सामने आ रही है। औरंगाबाद-पुणे हाईवे भी बंद किया गया है। दस्तक इंडिया ने इस खबर की तह तक जाने की कोशिश की है। आईए क्रमवार जानते हैं पूरा मसला-

क्या है आरक्षण की मांग-

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी में हिस्सेदारी 33 प्रतिशत यानी की चार करोड के करीब है। ये समुदाय सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है। दो साल पहले भी मराठा समुदाय ने आरक्षण की मांग की थी लेकिन उस वक्त उन्होंने मूक मोर्चा निकाला था और इस बार भीड ने हिंसक रुप ले लिया है। कहा यही जा रहा है कि समुदाय 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है लेकिन असलियत इससे काफी उलट है। क्योंकी मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मान ली है। ऐसे में आरक्षण की मांग थम जानी चाहिए थी।

क्या चहाता है मराठा समुदाय-

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार आंदोलन कर रहे मराठा नेताओं का कहना है कि उन्हें आरक्षण नहीं ओबीसी का दर्जा चाहिए। क्योंकी कानून के मुताबिक मौजूदा 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण होने पर उनका आरक्षण मान्य नहीं रहेगा। क्योंकी हरियाणा सहित अन्य राज्यों में ऐसा ही हुआ है। मामला कोर्ट में जाने पर सरकार का दिया उनका आरक्षण छिन जाएगा और उनके बच्चों की नौकरीयां लटक जाएंगी। ऐसे में उन्होंने ओबीसी के दर्ज की मांग की है। क्योंकी ओबीसी में आते ही उन्हें अपने आप आरक्षण मिल जाएगा।

#Visuals of #MarathaReservationProtest from Mumbai-Pune highway. #Maharashtra pic.twitter.com/Zwz830VUf1

Contents
आपने आरक्षण की आग में हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को तो जलते देखा ही होगा। लेकिन अब महाराष्ट्र आरक्षण की आग में सुलग रहा है। यहां मराठा 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। मुबंई सहित महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में बंद बुलाया गया है और कई जगह से हिंसा और बसों को जलाने की भी खबर सामने आ रही है। औरंगाबाद-पुणे हाईवे भी बंद किया गया है। दस्तक इंडिया ने इस खबर की तह तक जाने की कोशिश की है। आईए क्रमवार जानते हैं पूरा मसला-क्या है आरक्षण की मांग-महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी में हिस्सेदारी 33 प्रतिशत यानी की चार करोड के करीब है। ये समुदाय सरकारी नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है। दो साल पहले भी मराठा समुदाय ने आरक्षण की मांग की थी लेकिन उस वक्त उन्होंने मूक मोर्चा निकाला था और इस बार भीड ने हिंसक रुप ले लिया है। कहा यही जा रहा है कि समुदाय 16 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहा है लेकिन असलियत इससे काफी उलट है। क्योंकी मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मान ली है। ऐसे में आरक्षण की मांग थम जानी चाहिए थी।क्या चहाता है मराठा समुदाय-मीडिया रिपोर्टस के अनुसार आंदोलन कर रहे मराठा नेताओं का कहना है कि उन्हें आरक्षण नहीं ओबीसी का दर्जा चाहिए। क्योंकी कानून के मुताबिक मौजूदा 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण होने पर उनका आरक्षण मान्य नहीं रहेगा। क्योंकी हरियाणा सहित अन्य राज्यों में ऐसा ही हुआ है। मामला कोर्ट में जाने पर सरकार का दिया उनका आरक्षण छिन जाएगा और उनके बच्चों की नौकरीयां लटक जाएंगी। ऐसे में उन्होंने ओबीसी के दर्ज की मांग की है। क्योंकी ओबीसी में आते ही उन्हें अपने आप आरक्षण मिल जाएगा।एकदम से क्यों भडकी आरक्षण की चिंगारी-महाराष्ट्र में आठ साल बाद सरकारी नौकरियों के लिए 72 हजार पदों पर भर्ती निकली है। इसलिए मराठा समुदाय के अनुसार सरकार से अपनी मांगे मंगवाने का ये सही समय है ताकी समाज के युवा सरकारी नौकरी हासिल कर सकें। वहीं राज ठाकरे का कहना है कि मुख्यमंत्री लोगों को ये कहकर गुमराह कर रहे हैं कि अगर बंबई हाईकोर्ट समुदाय के लिए आरक्षण को मंजूरी देती है तो सरकार बैकलॉग के रूप में मराठा उम्मीदवारों को 72,000 पदों में से 16 प्रतिशत पद आवंटित कर देगी।हिंसक क्यों हो गया आंदोलन-दरअसल औरंगाबाद में प्रदर्शन कर रहे एक युवक ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। जिसके बाद आंदोलन ने उग्र रुप ले लिया। जिसके बाद से मराठा समुदाय मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। मृत युवक के अंतिम संस्कार में पहुंचे शिवसेना सांसद चंद्रकांत खैरे से भी हाथापाई की खबर है। सांसद लोगों की नाराजगी देखते हुए अपनी जान बचा जैसे तैसे वहां से वापस लौट सके। सरकार ने मृतक युवक के परिजनों को 10 लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। बावजूद इसके आंदोलन हिंसक रुप लेता गया और सरकार इसको रोक पाने में नाकाम रही।क्या है सरकार की मुश्किल-देवेंद्र फडणवीस सरकार की मुश्किल ये है कि अगल साल महाराष्ट्र में चुनाव में वो मराठाओं को नाराज नहीं करना चाहते। महाराष्ट्र में 31 प्रतिशत मराठा समुदाय के लोग हैं और चुनाव में उनका वोट बैंक बडा मायने रखता है। सरकार उन्हें 16 प्रतिशत आरक्षण तो दे दे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत ही निर्धारित कर रखी है। इसलिए सरकार इस सीमा से आगे जाकर आरक्षण नहीं दे सकती। फिलहाल महाराष्ट्र में 52% आरक्षण दिया जाता है। यदि सरकार इसे बदलकर 16 % और जोडती है तो कुल आरक्षण 68% होगा। ये बात मराठा समुदाय के लोग भी समझ रहे हैं और अब समुदाय के नेताओं का यही कहना है कि उन्हें ओबीसी में शामिल किया जाए।लेकिन अगर सरकार मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल करती है तो सरकार की मुश्किलें घटने की बजाए बढ़ ही सकती हैं। क्योंकी अगर सरकार मराठों को ओबीसी के लिए निर्धारित 27 फीसदी कोटे में लाती है तो पहले से ओबीसी में शामिल समुदाय नाराज हो सकते हैं और वो भी इसी तरह सडकों पर आ सकते हैं। क्योंकी एससी-एसटी और ओबीसी में शामिल समुदाय अपने इस वर्ग में किसी भी तरह के बदलाव के खिलाफ रहते आए हैं।

— ANI (@ANI) July 25, 2018

एकदम से क्यों भडकी आरक्षण की चिंगारी-

महाराष्ट्र में आठ साल बाद सरकारी नौकरियों के लिए 72 हजार पदों पर भर्ती निकली है। इसलिए मराठा समुदाय के अनुसार सरकार से अपनी मांगे मंगवाने का ये सही समय है ताकी समाज के युवा सरकारी नौकरी हासिल कर सकें। वहीं राज ठाकरे का कहना है कि मुख्यमंत्री लोगों को ये कहकर गुमराह कर रहे हैं कि अगर बंबई हाईकोर्ट समुदाय के लिए आरक्षण को मंजूरी देती है तो सरकार बैकलॉग के रूप में मराठा उम्मीदवारों को 72,000 पदों में से 16 प्रतिशत पद आवंटित कर देगी।

Mumbai: Workers of #MarathaKrantiMorcha block Eastern Expressway in Chembur during their agitation for #MarathaReservation pic.twitter.com/5faqGPoYfs

— ANI (@ANI) July 25, 2018

हिंसक क्यों हो गया आंदोलन-

दरअसल औरंगाबाद में प्रदर्शन कर रहे एक युवक ने नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। जिसके बाद आंदोलन ने उग्र रुप ले लिया। जिसके बाद से मराठा समुदाय मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। मृत युवक के अंतिम संस्कार में पहुंचे शिवसेना सांसद चंद्रकांत खैरे से भी हाथापाई की खबर है। सांसद लोगों की नाराजगी देखते हुए अपनी जान बचा जैसे तैसे वहां से वापस लौट सके। सरकार ने मृतक युवक के परिजनों को 10 लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। बावजूद इसके आंदोलन हिंसक रुप लेता गया और सरकार इसको रोक पाने में नाकाम रही।

Mumbai: Miscreants pelted stones & set a bus ablaze in Mankhurd during #MarathaQuotaStir. Fire has now been extinguished by fire tenders. pic.twitter.com/HA3jP9t05L

— ANI (@ANI) July 25, 2018

क्या है सरकार की मुश्किल-

देवेंद्र फडणवीस सरकार की मुश्किल ये है कि अगल साल महाराष्ट्र में चुनाव में वो मराठाओं को नाराज नहीं करना चाहते। महाराष्ट्र में 31 प्रतिशत मराठा समुदाय के लोग हैं और चुनाव में उनका वोट बैंक बडा मायने रखता है। सरकार उन्हें 16 प्रतिशत आरक्षण तो दे दे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत ही निर्धारित कर रखी है। इसलिए सरकार इस सीमा से आगे जाकर आरक्षण नहीं दे सकती। फिलहाल महाराष्ट्र में 52% आरक्षण दिया जाता है। यदि सरकार इसे बदलकर 16 % और जोडती है तो कुल आरक्षण 68% होगा। ये बात मराठा समुदाय के लोग भी समझ रहे हैं और अब समुदाय के नेताओं का यही कहना है कि उन्हें ओबीसी में शामिल किया जाए।

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लेकिन अगर सरकार मराठा समुदाय को ओबीसी में शामिल करती है तो सरकार की मुश्किलें घटने की बजाए बढ़ ही सकती हैं। क्योंकी अगर सरकार मराठों को ओबीसी के लिए निर्धारित 27 फीसदी कोटे में लाती है तो पहले से ओबीसी में शामिल समुदाय नाराज हो सकते हैं और वो भी इसी तरह सडकों पर आ सकते हैं। क्योंकी एससी-एसटी और ओबीसी में शामिल समुदाय अपने इस वर्ग में किसी भी तरह के बदलाव के खिलाफ रहते आए हैं।

The Maratha quota stir turned violent after clashes broke out between two groups in Udgir in Latur district

Read @ANI Story | https://t.co/DHwCSJUVgN pic.twitter.com/Cj0pwRcYHW

— ANI Digital (@ani_digital) July 25, 2018

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