आजादी के बाद भारत की पहली महिला आईएएस अधिकारी अन्ना राजम मल्होत्रा, जिन्होने मद्रास केडर में ज्वाइन किया था उनका 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होने अपनी आखिरी साँस मुंबई में ली। जुलाई 1927 में केरल के एर्नाकुलम जिले में जन्मी अन्ना राजम जॉर्ज ने कोझिकोड में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए मद्रास चली गईं। उन्होने आरएन मल्होत्रा जो कि 1985 से 1990 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे उनसे विवाह किया।
1951 में सिविल सेवा में शामिल हुई। हालांकि 1951 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित आर एन बनर्जी और चार आईसीएस अधिकारियों के शामिल साक्षात्कार बोर्ड ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की, कि विदेश सेवा और केंद्रीय सेवाएं ही “महिलाओं के लिए उपयुक्त” हैं, फिर भी उन्होंने सिविल सेवा में शामिल होने पर जोर दिया।
1951 में सिविल सेवा में शामिल हुई। हालांकि 1951 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित आर एन बनर्जी और चार आईसीएस अधिकारियों के शामिल साक्षात्कार बोर्ड ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की, कि विदेश सेवा और केंद्रीय सेवाएं ही “महिलाओं के लिए उपयुक्त” हैं, फिर भी उन्होंने सिविल सेवा में शामिल होने पर जोर दिया।
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आजादी के बाद भारत की पहली महिला आईएएस अधिकारी अन्ना राजम मल्होत्रा, जिन्होने मद्रास केडर में ज्वाइन किया था उनका 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होने अपनी आखिरी साँस मुंबई में ली। जुलाई 1927 में केरल के एर्नाकुलम जिले में जन्मी अन्ना राजम जॉर्ज ने कोझिकोड में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और फिर उच्च शिक्षा के लिए मद्रास चली गईं। उन्होने आरएन मल्होत्रा जो कि 1985 से 1990 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर थे उनसे विवाह किया।
1951 में सिविल सेवा में शामिल हुई। हालांकि 1951 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित आर एन बनर्जी और चार आईसीएस अधिकारियों के शामिल साक्षात्कार बोर्ड ने उन्हें काफी समझाने की कोशिश की, कि विदेश सेवा और केंद्रीय सेवाएं ही “महिलाओं के लिए उपयुक्त” हैं, फिर भी उन्होंने सिविल सेवा में शामिल होने पर जोर दिया।2012 में द हिंदू को दिए एक साक्षात्कार में, उन्होंने याद किया कि तब के मुख्यमंत्री सी राजगोपालाचारी सार्वजनिक सेवा में प्रवेश करने वाली महिलाओं के खिलाफ थे और वो उन्हें फिल्ड पोस्टिन्ग देने के इच्छुक नहीं थे। उनका मानना था कि महिला होने के कारण, अन्ना राजम मल्होत्रा कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने में असमर्थ हैं। अन्ना ने राजा जी को तब यह तर्क दिया था कि उन्हें खुद को साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए। कुछ सालों बाद एक सार्वजनिक बैठक में, राजाजी ने अन्ना राजम मल्होत्रा जी को प्रगतिशील महिलाओं का उदाहरण बताया था। उन्हें घुड़सवारी और शूटिंग में प्रशिक्षित किया गया था। अन्ना राजम मल्होत्रा को पहली पोस्टिन्ग होसुर में उप कलेक्टर के रुप में मिली। इसके बाद उन्होने अपना सारा जीवन देश सेवा में लगा दिया।
उन्होने सात मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया। उन्होने राजीव गांधी के साथ 1982 में काम किया जब वो दिल्ली में एशियाई खेलों की परियोजना के प्रभारी थे। वो आठ देशो के दौरे पर पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के साथ भी गई थीं और साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में भी सेवा की। उन्हें 1989 में भारत सरकार द्वारा प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
2012 में द हिंदू को दिए एक साक्षात्कार में, उन्होंने याद किया कि तब के मुख्यमंत्री सी राजगोपालाचारी सार्वजनिक सेवा में प्रवेश करने वाली महिलाओं के खिलाफ थे और वो उन्हें फिल्ड पोस्टिन्ग देने के इच्छुक नहीं थे। उनका मानना था कि महिला होने के कारण, अन्ना राजम मल्होत्रा कानून और व्यवस्था की स्थिति को संभालने में असमर्थ हैं। अन्ना ने राजा जी को तब यह तर्क दिया था कि उन्हें खुद को साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए। कुछ सालों बाद एक सार्वजनिक बैठक में, राजाजी ने अन्ना राजम मल्होत्रा जी को प्रगतिशील महिलाओं का उदाहरण बताया था।
उन्हें घुड़सवारी और शूटिंग में प्रशिक्षित किया गया था। अन्ना राजम मल्होत्रा को पहली पोस्टिन्ग होसुर में उप कलेक्टर के रुप में मिली। इसके बाद उन्होने अपना सारा जीवन देश सेवा में लगा दिया।
उन्होने सात मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया। उन्होने राजीव गांधी के साथ 1982 में काम किया जब वो दिल्ली में एशियाई खेलों की परियोजना के प्रभारी थे। वो आठ देशो के दौरे पर पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के साथ भी गई थीं और साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में भी सेवा की। उन्हें 1989 में भारत सरकार द्वारा प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
उन्होने सात मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया। उन्होने राजीव गांधी के साथ 1982 में काम किया जब वो दिल्ली में एशियाई खेलों की परियोजना के प्रभारी थे। वो आठ देशो के दौरे पर पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के साथ भी गई थीं और साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में भी सेवा की। उन्हें 1989 में भारत सरकार द्वारा प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में सराहनीय काम करने के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
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