2019 के चुनावो से पहले वोटरो को लुभाने की खूब कोशिश की जा रही है। इसका उदाहरण उन राज्यो मे दिख रहा है जिनमें अभी अगले कुछ महीनो मे चुनाव होने हैं। शनिवार को चुनाव के एेलान के ठीक पहले तक मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ औऱ तेलंगाना में करीब तीन हजार करोड़ रुपए के मोबाइल, साड़ी, जूते-चप्पल आदि मुफ्त में बांटने की घोषणा हो चुकी हैं। देश में लंबे समय से चुनावों के समय ऐसी घोषणा करने का ट्रेंड है।
मध्यप्रदेश राज्य ने 100 करोड़ खर्च कर आदिवासियों और तेंदूपत्ता संग्राहकों को जूते, चप्पल, साड़ी और पानी की कुप्पी बांटी है। इतना ही नहीं सरकार ने बिजली के बिल के बकाएदारों को 200 रु. प्रतिमाह के फ्लैट रेट पर बिजली देने की घोषणा की है। इस स्कीम से सरकार को 5,200 करोड़ रु. के रेवेन्यू का नुकसान हुआ।
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राजस्थान में वसुंधरा सरकार ने एक करोड़ से ज़्यादा गरीब लोगों को मुफ्त मोबाइल फोन देने की घोषणा की है। इसके लिए एक हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार करीब 55 लाख लोगों को स्मार्टफोन बांटेगी। इसमें 1632 करोड़ रु. खर्च होंगे। अब तक करीब 21 लाख से अधिक फोन दिए जा चुके हैं।
तेलंगाना में केसीआर की सरकार इस साल बठुकम्मा फेस्टिवल में 96 लाख साड़ियां बांटने वाली थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इस पर रोक लगा दी है। इस पर 280 करोड़ रुपए खर्च होने थे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2019 चुनाव को ध्यान रखते हुए पहली बार करीब 28 हजार दुर्गा पूजा समितियों को 28 करोड़ रुपए चंदा देने की घोषणा की थी। कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में चंदा देने पर रोक लगाई है।
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