योगी सरकार ने गंगानगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया कि इलाहाबाद का नाम अब प्रयागराज होगा। 2019 में होने वाले कुम्भ मेले से पहले योगी सरकार ने मंगलवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आपको बता दे कि 444 साल पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज ही था। मुग़ल बादशाह अकबर ने प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद रख दिया था। और लम्बे समय के बाद प्रयागराज को अपना पुराना नाम मिल गया। इलाहाबाद के नाम बदलने को लेकर सियासत में भी काफी गर्मागर्मी चल रही थी।
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योगी सरकार ने गंगानगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया कि इलाहाबाद का नाम अब प्रयागराज होगा। 2019 में होने वाले कुम्भ मेले से पहले योगी सरकार ने मंगलवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। आपको बता दे कि 444 साल पहले इलाहाबाद का नाम प्रयागराज ही था। मुग़ल बादशाह अकबर ने प्रयागराज का नाम बदलकर इलाहाबाद रख दिया था। और लम्बे समय के बाद प्रयागराज को अपना पुराना नाम मिल गया। इलाहाबाद के नाम बदलने को लेकर सियासत में भी काफी गर्मागर्मी चल रही थी।ऋगवेद, महाभारत और रामायण जैसे कई हिन्दू ग्रंथों में भी प्रयागराज का उल्लेख देखने को मिलता है। रामचरित मानस में भी इलाहाबाद को प्रयागराज कहा गया है। जंगल जाते वक्त भगवान श्री राम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। जब श्री राम पहुंचे तो प्रयागराज का वर्णन हुआ। मत्स्य पुराण में भी इसका वर्णन है। उसमें लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है, जहां गंगा और यमुना बहती है। इसलिए उसका नाम प्रयागराज पड़ा था। प्रयागराज को लेकर कई मान्यताएं है और इस संगम नगरी का कई जगह उल्लेख है।इलाहाबाद के प्रयागराज होने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार को घेरने की बहुत कोशिश की थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने इन सबका डटकर सामना कर अपना फैसला ले ही लिया और आखिरकार कुम्भ नगरी को उसका पुराना नाम वापिस मिल गया। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस फैसले पर कहा कि ऐसा करना लोगों की आस्था के खिलाफ है। लेकिन जब संत साधू ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखना चाहते है तो किसी और को क्या आपत्ति है। बल्कि इलाहाबाद हर गुलामी जैसे प्रतीकों से मुक्त हो जाएगा।
ऋगवेद, महाभारत और रामायण जैसे कई हिन्दू ग्रंथों में भी प्रयागराज का उल्लेख देखने को मिलता है। रामचरित मानस में भी इलाहाबाद को प्रयागराज कहा गया है। जंगल जाते वक्त भगवान श्री राम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे। जब श्री राम पहुंचे तो प्रयागराज का वर्णन हुआ। मत्स्य पुराण में भी इसका वर्णन है। उसमें लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है, जहां गंगा और यमुना बहती है। इसलिए उसका नाम प्रयागराज पड़ा था। प्रयागराज को लेकर कई मान्यताएं है और इस संगम नगरी का कई जगह उल्लेख है।
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इलाहाबाद के प्रयागराज होने के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने बीजेपी सरकार को घेरने की बहुत कोशिश की थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने इन सबका डटकर सामना कर अपना फैसला ले ही लिया और आखिरकार कुम्भ नगरी को उसका पुराना नाम वापिस मिल गया। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस फैसले पर कहा कि ऐसा करना लोगों की आस्था के खिलाफ है। लेकिन जब संत साधू ही इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज रखना चाहते है तो किसी और को क्या आपत्ति है। बल्कि इलाहाबाद हर गुलामी जैसे प्रतीकों से मुक्त हो जाएगा।