इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद ) ने आज एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। बुधवार यानी आज इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSAT-29 (जीसैट-29) सैटेलाइट लॉन्च किया है। इस उपग्रह को बुधवार शाम 5 बजकर 8 मिनट पर लॉन्च किया गया। जीसैट-29 एक संचार उपग्रह है, जिसका वजन करीब 3,423 किलोग्राम है और इसे 10 साल के मिशन काल के लिहाज से डिजाइन किया गया है।
इस मौके पर इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने कहा, ”यह विशेष उपग्रह भारत में दूरस्थ स्थान पर सेवाएं प्रदान करने जा रहा है। खासकर भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में ये अपनी सेवाएं प्रदान करेगा।”
This particular satellite is going to provide services to remote place in India, especially in J&K&northeast India under Digital India program of GoI:K Sivan Chairman ISRO after successful launch of GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from SDSC in Sriharikota.#AndhraPradesh pic.twitter.com/oYDrbXbJFN
इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद ) ने आज एक बार फिर से इतिहास रच दिया है। बुधवार यानी आज इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSAT-29 (जीसैट-29) सैटेलाइट लॉन्च किया है। इस उपग्रह को बुधवार शाम 5 बजकर 8 मिनट पर लॉन्च किया गया। जीसैट-29 एक संचार उपग्रह है, जिसका वजन करीब 3,423 किलोग्राम है और इसे 10 साल के मिशन काल के लिहाज से डिजाइन किया गया है।इस मौके पर इसरो के चेयरमैन के. सिवान ने कहा, ”यह विशेष उपग्रह भारत में दूरस्थ स्थान पर सेवाएं प्रदान करने जा रहा है। खासकर भारत सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में ये अपनी सेवाएं प्रदान करेगा।”भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि उपग्रह में मौजूद प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए इसे अंतिम भूस्थैतिक कक्षा (जीईओ) में पहुंचाया जाएगा और प्रक्षेपक से अलग होकर निर्धारित कक्षा में पहुंचने में कुछ दिनों का वक्त लग सकता है।मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जीसेट-29 बहुत महत्तवपूर्ण सेटेलाइट है, इसका निर्माण भारत में किया गया है। यह सेटेलाइट पूरे समय भारत के ऊपर रहेगा और जैसे-जैसे धरती घूमेगी वैसे-वैसे यह सेटेलाइट भी घूमता रहेगा। यह एक कम्युनिकेशन सेटेलाइट है इसकी लांचिंग के बाद हम इसकी बदौलत जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट पर निगरानी रखने में ज्यादा मददगार होगा।
— ANI (@ANI) November 14, 2018
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान परिषद ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि उपग्रह में मौजूद प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए इसे अंतिम भूस्थैतिक कक्षा (जीईओ) में पहुंचाया जाएगा और प्रक्षेपक से अलग होकर निर्धारित कक्षा में पहुंचने में कुछ दिनों का वक्त लग सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जीसेट-29 बहुत महत्तवपूर्ण सेटेलाइट है, इसका निर्माण भारत में किया गया है। यह सेटेलाइट पूरे समय भारत के ऊपर रहेगा और जैसे-जैसे धरती घूमेगी वैसे-वैसे यह सेटेलाइट भी घूमता रहेगा। यह एक कम्युनिकेशन सेटेलाइट है इसकी लांचिंग के बाद हम इसकी बदौलत जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट पर निगरानी रखने में ज्यादा मददगार होगा।
#WATCH: Indian Space Research Organisation (ISRO) launches GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. #AndhraPradesh pic.twitter.com/7572xEzTq2
— ANI (@ANI) November 14, 2018