दिल्ली मेट्रो ने वायलेट लाईन का विस्तार करते हुए इसे हरियाणा के एक और शहर बल्लभगढ़ से जोड दिया है। इसके साथ ही एतिहासिक नगरी बल्लभगढ़ दिल्ली के कश्मीरी गेट स्टेशन से सीधा जुड गया है। हालांकि ये प्रोजेक्ट पूरे डेढ़ साल देरी से आ रहा है लेकिन फिर भी दिल्ली मेट्रो इसे अपनी बडी उपलब्धी के तौर पर देख रही है। बल्लभगढ़ फरीदाबाद जिला का विधानसभा क्षेत्र है। फरीदाबाद में मेट्रो सितंबर 2015 में आ गई थी। इससे पहले फरीदाबाद वाले दिल्ली के बदरपुर से मेट्रो में सवार होते थे।
फरीदाबाद में मेट्रो आने के साथ ही बल्लभगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट पास हो गया था लेकिन 3.2 किलोमीटर लंबा ये मेट्रो विस्तार अपनी सारी डेडलाईन क्रास करता गया और अब तीन महीने के लंबे ट्रायल के बाद फरीदाबाद मेट्रो के दरवाजे आम जनता के लिए खुल रहे हैं। बल्लभगढ़ मेट्रो आ जाने से लोगं को काफी राहत मिली है। अभी तक बल्लभगढ़ वाले एसकोर्टस मुजेसर मेट्रो स्टेशन पर आकर मेट्रो में सवार हो रहे थे।
दिल्ली मेट्रो ने वायलेट लाईन का विस्तार करते हुए इसे हरियाणा के एक और शहर बल्लभगढ़ से जोड दिया है। इसके साथ ही एतिहासिक नगरी बल्लभगढ़ दिल्ली के कश्मीरी गेट स्टेशन से सीधा जुड गया है। हालांकि ये प्रोजेक्ट पूरे डेढ़ साल देरी से आ रहा है लेकिन फिर भी दिल्ली मेट्रो इसे अपनी बडी उपलब्धी के तौर पर देख रही है। बल्लभगढ़ फरीदाबाद जिला का विधानसभा क्षेत्र है। फरीदाबाद में मेट्रो सितंबर 2015 में आ गई थी। इससे पहले फरीदाबाद वाले दिल्ली के बदरपुर से मेट्रो में सवार होते थे।फरीदाबाद में मेट्रो आने के साथ ही बल्लभगढ़ मेट्रो प्रोजेक्ट पास हो गया था लेकिन 3.2 किलोमीटर लंबा ये मेट्रो विस्तार अपनी सारी डेडलाईन क्रास करता गया और अब तीन महीने के लंबे ट्रायल के बाद फरीदाबाद मेट्रो के दरवाजे आम जनता के लिए खुल रहे हैं। बल्लभगढ़ मेट्रो आ जाने से लोगं को काफी राहत मिली है। अभी तक बल्लभगढ़ वाले एसकोर्टस मुजेसर मेट्रो स्टेशन पर आकर मेट्रो में सवार हो रहे थे।बल्लभगढ़ मेट्रो की खास बात ये है कि यहां एक साथ बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, नेशनल हाईवे और अब मेट्रो स्टेशन यानी की चार चीजें एक साथ है। यात्री यहां अपनी सुविधा के साथ अपनी यात्रा का साधन चुन सकते हैं। यात्रा करने की ऐसी सुविधा शायद ही किसी शहर में लोगों को मिली हो जहां उनके पास एक साथ इतने ऑपशनस हों।बल्लभगढ़ मेट्रो आ तो रही है लेकिन नेताओं में इसके क्रेडिट की होड मची है। लेकिन हमें ये समझना होगा कि ये राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट हैं जो निरंतर चले आ रहे होते हैं। इसमें स्थानीय नेताओं का किसी तरह का कोई योगदान नहीं होता। कांग्रेस और भाजपा दोनों इस प्रोजेक्ट को लेकर क्रेडिट लेने में लगे हैं। हालांकि स्थानीय लोगों की मांग पर स्टेशन का नाम “शहीद राजा नाहर सिंह” के नाम पर रखने पर नेताओं का सहयोग जरुर रहा है। पहले स्टेशन का नाम सिर्फ बल्लभगढ़ था और गुडियर स्टेशन का नाम एनसीबी गुडियर स्टेशन रखा गया था जिसे भी बदला गया और संत सूरदास (सिहि) के नाम पर रखा गया।
बल्लभगढ़ मेट्रो की खास बात ये है कि यहां एक साथ बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, नेशनल हाईवे और अब मेट्रो स्टेशन यानी की चार चीजें एक साथ है। यात्री यहां अपनी सुविधा के साथ अपनी यात्रा का साधन चुन सकते हैं। यात्रा करने की ऐसी सुविधा शायद ही किसी शहर में लोगों को मिली हो जहां उनके पास एक साथ इतने ऑपशनस हों।
बल्लभगढ़ मेट्रो आ तो रही है लेकिन नेताओं में इसके क्रेडिट की होड मची है। लेकिन हमें ये समझना होगा कि ये राष्ट्रीय स्तर के प्रोजेक्ट हैं जो निरंतर चले आ रहे होते हैं। इसमें स्थानीय नेताओं का किसी तरह का कोई योगदान नहीं होता। कांग्रेस और भाजपा दोनों इस प्रोजेक्ट को लेकर क्रेडिट लेने में लगे हैं।
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