अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अस्पतालों और डाक्टरों को प्रलोभन देने और संदिग्ध सौदों का मामला सामने आया है। वैसविक एंजंसियों के हवाले से अखबार को ये डाटा मिला है।
दो माह पहले अमेरिका की शीर्ष वित्तिय नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने ऑर्थोपेडिक(विक्लांग चिकित्सा संबधित) इम्प्लांट डिवाइसेस के बडे निर्माता स्ट्राइकर पर 7.8 मिलियन यानी की 55 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया है। भारत, चीन और कुवैत जैसे देशों में नियमों की अनदेखी करने के मामले में ये जुमार्ना लगाया गया है।
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अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अस्पतालों और डाक्टरों को प्रलोभन देने और संदिग्ध सौदों का मामला सामने आया है। वैसविक एंजंसियों के हवाले से अखबार को ये डाटा मिला है।दो माह पहले अमेरिका की शीर्ष वित्तिय नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने ऑर्थोपेडिक(विक्लांग चिकित्सा संबधित) इम्प्लांट डिवाइसेस के बडे निर्माता स्ट्राइकर पर 7.8 मिलियन यानी की 55 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया है। भारत, चीन और कुवैत जैसे देशों में नियमों की अनदेखी करने के मामले में ये जुमार्ना लगाया गया है।28 सितंबर को एसईसी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार ओडिटिंग के दौरान ये सामने आया है कि कंपनी और उसकी भारतीय सहायक कंपनीयों और डीलरों ने कईं उल्लंघन किए हैं। इनमें डाक्टरों की परामर्श फीस से लेकर यात्रा और अन्य लाभ भी शामिल है। साथ ही बड़े पैमाने पर कई कोरपोरेट अस्पतालों को जारी किए गए गलत चलान शामिल है।सिर्फ इतना ही नहीं। 2012 में भारत के प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने स्ट्राइकर इंडिया के एक यहां के एक अधिकृत वितरक और दो अन्य फर्मों को कथित रूप से बोली लगाने, निविदाओं में छेड़छाड़ करने और देश के दो बडे सरकारी अस्पताल एम्स और सफरदरजंग को उपकरण बेचने के लिए एक कार्टेल बनाने के लिए 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।स्ट्राइकर इंडिया के ऑपरेशनों के देखने के साथ ही 2010 और 15 के बीच हुई अपनी आंतरिक जांच में एसईसी ने पाया कि “एचसीपी (हेल्थ केयर प्रदाता) को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए भुगतानों में पर्याप्त दस्तावेज की कमी है, जैसे डॉक्टरों को पर्याप्त स्पष्टीकरण के बिना परामर्श शुल्क डॉक्टरों की परामर्श सेवाओं या घंटों के बिलों के बारे में, और दस्तावेज के साथ एचसीपी यात्रा के लिए भुगतान जो गलत साबित हुए।“इसके अतिरिक्त, फोरेंसिक समीक्षा में कई अन्य लेनदेन के लिए दस्तवेज या तो गलत या फिर गायाब मिले। जिन्हें हाई रिस्क पर रखा गया है। जिसमें परामर्श फीस, यात्रा और भारत में स्वास्थय देखभाल करने वालों के अन्य लाभ शामिल हैं। स्ट्राइकर इंडिया के भारत के ऑपरेशनस को सबसे गंभीर आरोपो में रखा गया है जिसमें कंपनी ने अपने प्रोडेक्टस को बिना किसी नियमक के अस्पतालों और डाक्टरों के साथ साठगांठ कर बेच दिया।स्ट्राइकर इंडिया के भारत में चार दफ्तर दिल्ली, मुंबई, चैन्नई और कोलकाता में है।2017-18 के फाईनेंसियल ईयर में कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 300 करोड से अधिक है। कंपनी ने मुख्य रूप से हिप और घुटने के प्रत्यारोपण, और रीढ़ और न्यूरो सर्जरी के लिए चिकित्सा उपकरणों को बेचने से कमाई की है। अमेरिका स्थित स्ट्राइकर इंडिया की पेरेंट कंपनी ने एशिया, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका सहित 100 देशों में फैले अपने जाल से 58.87 बिलियन डॉलर की कमाई की है।एएसआई ने पाया कि भारत के निजी अस्पतालों ने “अपने मरीजों या उन मरीजों के बीमाकर्ता कंपनीयों के मंहगे बिल बनाए। भले ही उन्होंने स्ट्राइकर इंडिया से उत्पाद कम कीमतों पर खरीदा हो। कंपनी ने अस्पतालों को मरीजों और बीमा कंपनीयों को उनके उत्पादों का महंगा बिल देने की अनुमती भी दी।