सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में शुक्रवार यानी आज सीबीआई(केंद्रीय जांच ब्यूरो) की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, सीबीआई ने इस मामले के सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि सबूतों की कमी की वजह से सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। आपको बता दे कि ये मामला करीब 13 साल पुराना है जिसपर ये फैसला आया है। इस मामले में बीते 5 दिसंबर को ही सुनवाई पूरी हो गई थी।
Sohrabuddin Sheikh case: All 22 accused acquitted by Special CBI Court in Mumbai due to lack of evidence pic.twitter.com/CSdFvx7f4w
सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर केस में शुक्रवार यानी आज सीबीआई(केंद्रीय जांच ब्यूरो) की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, सीबीआई ने इस मामले के सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि सबूतों की कमी की वजह से सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। आपको बता दे कि ये मामला करीब 13 साल पुराना है जिसपर ये फैसला आया है। इस मामले में बीते 5 दिसंबर को ही सुनवाई पूरी हो गई थी।सीबीआई की स्पेशल अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जो गवाह और सबूत पेश हैं वह किसी साजिश और हत्या को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि परिस्थिति के अनुसार जो भी साक्ष्य पेश किए गए वह भी इसे सिद्ध नहीं करते हैं। इसके अलावा तुलसीराम प्रजापति के साजिशन हत्या की बात भी गलत है।खबरों के अनुसार, कोर्ट ने इस बात को माना है कि सोहराबुद्दीन की मौत गोली लगने के कारण ही हुई थी। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है। यही कारण है कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। साथ ही कहा कि जो सबूत मौजूद है उनसे ये साबित नहीं होता कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की हत्या किसी साजिश के तहत हुई थी।क्या था मामलासीबीआई के मुताबिक, आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे।सीबीआई के मुताबिक, शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई थी। उसकी पत्नी को तीन दिन बाद मार गया और उसके शव को ठिकाने लगा दिया गया। साल भर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी। अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की जिनमें से 92 मुकर गए।इस बीच अभियोजन पक्ष के दो गवाहों ने अदालत से दरख्वास्त की कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए। इनमें से एक का नाम आजम खान है, जो सोहराबुद्दीन का सहयोगी था। उसने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी और पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि अगर उसने मुंह खोला तो उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा। एक अन्य गवाह एक पेट्रोल पंप का मालिक महेंद्र जाला है।
— ANI (@ANI) December 21, 2018
सीबीआई की स्पेशल अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि जो गवाह और सबूत पेश हैं वह किसी साजिश और हत्या को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि परिस्थिति के अनुसार जो भी साक्ष्य पेश किए गए वह भी इसे सिद्ध नहीं करते हैं। इसके अलावा तुलसीराम प्रजापति के साजिशन हत्या की बात भी गलत है।
Sohrabuddin Sheikh case: Special CBI judge observed in his order that all the witnesses and proofs are not satisfactory to prove conspiracy and murder, the court also observed that circumstantial evidence is not substantial #Mumbai pic.twitter.com/QNOtMVrZpU
— ANI (@ANI) December 21, 2018
खबरों के अनुसार, कोर्ट ने इस बात को माना है कि सोहराबुद्दीन की मौत गोली लगने के कारण ही हुई थी। हालांकि, इस बात का कोई सबूत नहीं है। यही कारण है कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। साथ ही कहा कि जो सबूत मौजूद है उनसे ये साबित नहीं होता कि सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की हत्या किसी साजिश के तहत हुई थी।
हमारा मानना है, हनुमान जी मुस्लिम थे- बीजेपी विधायक बुक्कल नवाब