गृह मंत्रालय द्वारा दस जांच एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर डेटा को ‘इंटरसेप्ट’ करने का अधिकार दिया गया था। इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका (PIL) दायर की। इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। मनोहर लाल ने इस याचिका में सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कोर्ट से इसे निरस्त करने की अपील की थी।
इसी याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मनोहर लाल पर पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
Supreme Court had earlier imposed a fine of Rs 50,000 on advocate ML Sharma for filing frivolous public interest litigations (PIL). https://t.co/WPZdrv13wU
गृह मंत्रालय द्वारा दस जांच एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर डेटा को ‘इंटरसेप्ट’ करने का अधिकार दिया गया था। इसी फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका (PIL) दायर की। इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। मनोहर लाल ने इस याचिका में सरकार की 20 दिसंबर की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कोर्ट से इसे निरस्त करने की अपील की थी।इसी याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मनोहर लाल पर पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।आपको बता दे कि गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है। सरकार के इस आदेश का विपक्षी दल विरोध कर रही है।क्या है ये आईटी एक्टगृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, रॉ, ‘डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस’ और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटरों की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।इसके साथ ही उन्हें उस डिवाइस और डाटा की निगरानी, उसे रोकने और उसे डिक्रिप्ट करने का भी अधिकार होगा। इस आदेश के अनुसार सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिकों को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें 7 साल की सज़ा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है।
— ANI (@ANI) December 24, 2018
आपको बता दे कि गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया है। इसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है। सरकार के इस आदेश का विपक्षी दल विरोध कर रही है।
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क्या है ये आईटी एक्ट
गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, रॉ, ‘डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस’ और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटरों की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।
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