भारत दुनियाभर में नींबू का सबसे बड़ा उत्पादक है औऱ प्रति वर्ष तीन मिलियन टन का उत्पादन होता है। नींबू की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्यों में की जाती है। इन्हें लगाने का सही समय मानसून के मौसम में होता है। अन्य नकदी फसलों के विपरीत, जिनमें बहुत ज्यादा लागत की आवश्यकता होती है, ओरगानिक खेती कर रहे किसान नींबू पर उच्च लाभ कमा रहे हैं।
ऐसे ही कुछ किसान जो बाकी किसानों को बढावा दे रहे हैं उनमें से एक हैं हमीरसिंह परमार। गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले के गौतमगढ़ गाँव के हमीरसिंह परमार के पास 6 हेक्टेयर ज़मीन है जिसमे से 1.6 हेक्टेयर पर नींबू की खेती होती है। इन्होंने सबसे पहले करीब 25 साल पहले नींबू का पौधा लगाना शुरू किया था। सौराष्ट्र क्षेत्र के कई किसान अपनी पैदावार के बाद भयंकर सूखे के बाद मर रहे हैं, परमार 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से नींबू बेच रहे हैं।
वो नींबूओं की ओरगैनिक खेती करते हैं। स्वाद और सुगंध में समृद्ध होने के नाते उनके उपभोक्ता बाजार दर से 15-25 प्रतिशत अधिक भुगतान करने से मना नही करते हैं। सामान्य नींबू 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है, जबकि उनका उत्पाद 100 रुपये में मिलता है। इसके अलावा,वो एक ही बाग से बैगन, भिंडी, पालक के पत्ते और अन्य सब्जियों की बिक्री से लगभग 1,000 रुपये प्रतिदिन कमा लेते हैं। उन्होंने यह बात द इंडियन एक्सप्रेस अखबार के साथ साझा की।
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भारत दुनियाभर में नींबू का सबसे बड़ा उत्पादक है औऱ प्रति वर्ष तीन मिलियन टन का उत्पादन होता है। नींबू की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्यों में की जाती है। इन्हें लगाने का सही समय मानसून के मौसम में होता है। अन्य नकदी फसलों के विपरीत, जिनमें बहुत ज्यादा लागत की आवश्यकता होती है, ओरगानिक खेती कर रहे किसान नींबू पर उच्च लाभ कमा रहे हैं।ऐसे ही कुछ किसान जो बाकी किसानों को बढावा दे रहे हैं उनमें से एक हैं हमीरसिंह परमार। गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले के गौतमगढ़ गाँव के हमीरसिंह परमार के पास 6 हेक्टेयर ज़मीन है जिसमे से 1.6 हेक्टेयर पर नींबू की खेती होती है। इन्होंने सबसे पहले करीब 25 साल पहले नींबू का पौधा लगाना शुरू किया था। सौराष्ट्र क्षेत्र के कई किसान अपनी पैदावार के बाद भयंकर सूखे के बाद मर रहे हैं, परमार 100 रुपये प्रति किलो के हिसाब से नींबू बेच रहे हैं।वो नींबूओं की ओरगैनिक खेती करते हैं। स्वाद और सुगंध में समृद्ध होने के नाते उनके उपभोक्ता बाजार दर से 15-25 प्रतिशत अधिक भुगतान करने से मना नही करते हैं। सामान्य नींबू 80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकता है, जबकि उनका उत्पाद 100 रुपये में मिलता है। इसके अलावा,वो एक ही बाग से बैगन, भिंडी, पालक के पत्ते और अन्य सब्जियों की बिक्री से लगभग 1,000 रुपये प्रतिदिन कमा लेते हैं। उन्होंने यह बात द इंडियन एक्सप्रेस अखबार के साथ साझा की।वो गुजरात के सरदार पटेल कृषि सम्मान पुरस्कार (2016-17) के विजेता हैं औऱ वे नींबू के उपयोग के अलावा संबंधित क्षेत्रों में विस्तार करने का भी सोच रहे हैं। उदाहरण के लिए, मानसून में जब नींबू का उत्पादन बढ़ता है तब वो अपने ओरगैनिक नींबू से अचार बनाते हैं।ऐसे देश में कई किसान हैं जो अपनी जमीन से कुछ खास कमा नहीं पा रहे थे लेकिन अब नींबू की केती से उन्हें कमाई हो रही है। वो लोग बाकी किसोनो को भी नए रास्ते दिखा रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, औसत किसान प्रति पेड़ 1,000-2,000 फलों की उपज प्राप्त करते हैं। कम बीमारियाँ लगने के काऱण इसमें अच्छा प्रोफिट मिल जाता है।