सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को 10 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से मना कर दिया है। हालांकि इस कानून पर स्टे नहीं लगाया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और इसके लिए सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है।
इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गरीब सवर्णों के लिए आए 10% आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई वाली बेंच ने कहा है कि इस मामले की जांच की जाएगी। आर्थिक आधार पर आरक्षण के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका में कोर्ट से इस फैसले पर स्टे मांगा गया था। लेकिन कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है और कहा कि मामले की जांच चल रही है।
Supreme Court also refuses to stay implementation of 10 per cent reservation to the economically weaker section of general category. A bench of CJI Ranjan Gogoi says “we will examine the issue.” https://t.co/nLEnpg2CyG
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को 10 फीसदी आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से मना कर दिया है। हालांकि इस कानून पर स्टे नहीं लगाया है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और इसके लिए सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है।इस बात की जानकारी न्यूज़ एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने गरीब सवर्णों के लिए आए 10% आरक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई वाली बेंच ने कहा है कि इस मामले की जांच की जाएगी। आर्थिक आधार पर आरक्षण के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका में कोर्ट से इस फैसले पर स्टे मांगा गया था। लेकिन कोर्ट ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है और कहा कि मामले की जांच चल रही है।बता दें कि मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान में 124वां संशोधन किया था। संसद के दोनों सदनों ने इस आरक्षण विधेयक को महज 2 दिन में ही पारित कर दिया था। इसके बाद तीन दिन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इसमें आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है।आपको बता दे कि इस महीने के शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट में यूथ फॉर इक्वलिटी नामक एनजीओ ने एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की थी, जिसमें सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाले कानून को चुनौती दी गई थी।इस आरक्षण कानून को सबसे पहले गुजरात सरकार ने अपने यहां लागू किया। इसके बाद फिर उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत अन्य राज्यों में भी इसको लागू किया गया था। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने सूबे में इस आरक्षण कानून को लागू करने से साफ इनकार कर दिया था। इसके अलावा डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन भी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का पुरजोर विरोध कर रहे हैं।
— ANI (@ANI) January 25, 2019
बता दें कि मोदी सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए संविधान में 124वां संशोधन किया था। संसद के दोनों सदनों ने इस आरक्षण विधेयक को महज 2 दिन में ही पारित कर दिया था। इसके बाद तीन दिन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इसमें आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है।
आपको बता दे कि इस महीने के शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट में यूथ फॉर इक्वलिटी नामक एनजीओ ने एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की थी, जिसमें सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाले कानून को चुनौती दी गई थी।
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