अजय चौधरी
खबर ये नहीं कि मसूद अजहर मारा गया, ये होनी चाहिए कि 28 साल के करियर में अशोक खेमका का 52वां तबादला हो गया। खबर ये नहीं कि बीसीसीआई ने पाकिस्तान को क्रिक्रेट से बेदखल करने का अनुरोध किया, ये होनी चाहिए कि हरियाणा सरकार ने आपकी रगों में जहर घोलने के लिए अरावली को लूटने की छूट दे दी और सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ही सरकार चुप बैठी।
हरियाणा विधानसभा में किसी पार्टी ने खट्टर सरकार के फैसले का विरोध नहीं किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबकी आवाजें गले से बहार निकलने लगी। जब देश भारत-पाक में व्यस्त था तो आपको जान से मारने का फैसला हरियाणा सरकार कर चुकी थी। वो आपसे आपके जीने का अधिकार छीन चुकी थी। आपको महीनों बाद दिवाली के आसपास जब दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता तो ध्यान आता कि इसकी रोकथाम को लेकर क्या किया जाए कारों पर बैन लगाया जाए या कुछ और? लेकिन जो प्रकृती अभी लुट रही है उसपर आंखे क्यों मूंदी है? क्योंकि अभी न्यूज चैनल चुनाव तक आपको देशभक्त बनाने में जुटे हैं?
ममता बनर्जी ने एयर स्ट्राइक को लेकर पीएम मोदी से मांगा जवाब, पूछा- कितने आतंकी मारे
अजय चौधरीखबर ये नहीं कि मसूद अजहर मारा गया, ये होनी चाहिए कि 28 साल के करियर में अशोक खेमका का 52वां तबादला हो गया। खबर ये नहीं कि बीसीसीआई ने पाकिस्तान को क्रिक्रेट से बेदखल करने का अनुरोध किया, ये होनी चाहिए कि हरियाणा सरकार ने आपकी रगों में जहर घोलने के लिए अरावली को लूटने की छूट दे दी और सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ही सरकार चुप बैठी।हरियाणा विधानसभा में किसी पार्टी ने खट्टर सरकार के फैसले का विरोध नहीं किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबकी आवाजें गले से बहार निकलने लगी। जब देश भारत-पाक में व्यस्त था तो आपको जान से मारने का फैसला हरियाणा सरकार कर चुकी थी। वो आपसे आपके जीने का अधिकार छीन चुकी थी। आपको महीनों बाद दिवाली के आसपास जब दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता तो ध्यान आता कि इसकी रोकथाम को लेकर क्या किया जाए कारों पर बैन लगाया जाए या कुछ और? लेकिन जो प्रकृती अभी लुट रही है उसपर आंखे क्यों मूंदी है? क्योंकि अभी न्यूज चैनल चुनाव तक आपको देशभक्त बनाने में जुटे हैं?खमेका का तबदला हर सरकार में होता आया है और आगे भी ऐसे ही होता रहेगा और अरावली भी ऐसे ही लुटती आई है और उम्मदी के अनुसार लुटती ही रहेगी। आपको ये समझना होगा कांग्रेस या बीजेपी या फिर कोई और राजनीतिक दल सब एक ही सिक्के के अलग अलग पहलू हैं। आपको लडाई पार्टियों की नहीं लोकतंत्र और संविधान की लडनी चाहिए। आपको अपने हकों की लडाई लडनी चाहिए। आप समर्थक हो सकते हैं लेकिन किसी पार्टी का अंधभक्त होना गलत है। समर्थक को अगर कुछ गलत लगता है तो उसे आवाज उठानी चाहिए। आंखे बंद कर हर चीज का समर्थन करना आपको अंधभक्त बना देता है।आईएएनएस के हवाले से सूचना आई है कि आतंकी मसूद अजहर मारा गया। लेकिन ऐजेंसी के पास इसको लेकर कोई सबूत नहीं है। इसलिए उसने इस बात की कोई अधिकारिक पुष्टी नहीं की है और ये खबर सूत्रों के हवाले से दी है। लेकिन फिर भी चीखने वाला गैंग(तथाकथित पत्रकार गैंग) टीवी स्क्रीन पर दिवाली बना रहा है। हमारे खबरी चैनलों ने ऐसे ही 300 से 400 आतंकवादी मार दिए थे सूत्रों के आधार पर, सरकार ने नहीं बताया कितने मारे गए। फेक न्यूज के खिलाफ सब बोल रहे हैं लेकिन वो ये फेक न्यूज हैं जो सूत्रों के आधार पर फैलाई जा रही हैं और राष्ट्र के नाम पर तो सबकुछ जायज है ही। अमित शाह ने कह दिया कि 250 आतंकी मारे गए हैं हमले में, लेकिन आप सोचिए अमित शाह होते कौन हैं, भारतीय वायु सेना के अधिकारी हैं या भारत सरकार के प्रवक्ता या किसी सैंवेधानिक पद पर बैठे हैं? वो बस एक राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष है।लोगों को अब ध्यान से समझना होगा जबतक अधिकारिक रुप से किसी चीज की पुष्टी न हो तबतक आपकी आंखों के सामने का सच भी सच नहीं होता। उदाहरण के तौर पर अगर किसी प्राकृतिक आपदा में सैंकडों लोगों के मारे जाने की खबर है लेकिन सरकार कहे कि 10 लोगों की ही जान गई है तो आप अधिकारिक रुप से 10 ही लोग दिखा सकते हैं। ज्यादा दिखाए तो नोटिस भी आ सकता है,ऐसी स्थिती में हमारी सरकारें आधों को तो लापता दिखा देती है और गरीबों और मजदूरों के मरने की तो पुष्टी होती ही नहीं। लेकिन यहां स्थिती ऐसी है कि राष्ट्र के नाम पर तो झूठ भी जायज होते हैं।“ये लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में सभी सूचनाएं लेखक द्वारा दी गई हैं, जिन्हें ज्यों की त्यों प्रस्तुत किया गया हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति दस्तक इंडिया उत्तरदायी नहीं है।”
खमेका का तबदला हर सरकार में होता आया है और आगे भी ऐसे ही होता रहेगा और अरावली भी ऐसे ही लुटती आई है और उम्मदी के अनुसार लुटती ही रहेगी। आपको ये समझना होगा कांग्रेस या बीजेपी या फिर कोई और राजनीतिक दल सब एक ही सिक्के के अलग अलग पहलू हैं। आपको लडाई पार्टियों की नहीं लोकतंत्र और संविधान की लडनी चाहिए। आपको अपने हकों की लडाई लडनी चाहिए। आप समर्थक हो सकते हैं लेकिन किसी पार्टी का अंधभक्त होना गलत है। समर्थक को अगर कुछ गलत लगता है तो उसे आवाज उठानी चाहिए। आंखे बंद कर हर चीज का समर्थन करना आपको अंधभक्त बना देता है।
आईएएनएस के हवाले से सूचना आई है कि आतंकी मसूद अजहर मारा गया। लेकिन ऐजेंसी के पास इसको लेकर कोई सबूत नहीं है। इसलिए उसने इस बात की कोई अधिकारिक पुष्टी नहीं की है और ये खबर सूत्रों के हवाले से दी है। लेकिन फिर भी चीखने वाला गैंग(तथाकथित पत्रकार गैंग) टीवी स्क्रीन पर दिवाली बना रहा है। हमारे खबरी चैनलों ने ऐसे ही 300 से 400 आतंकवादी मार दिए थे सूत्रों के आधार पर, सरकार ने नहीं बताया कितने मारे गए। फेक न्यूज के खिलाफ सब बोल रहे हैं लेकिन वो ये फेक न्यूज हैं जो सूत्रों के आधार पर फैलाई जा रही हैं और राष्ट्र के नाम पर तो सबकुछ जायज है ही। अमित शाह ने कह दिया कि 250 आतंकी मारे गए हैं हमले में, लेकिन आप सोचिए अमित शाह होते कौन हैं, भारतीय वायु सेना के अधिकारी हैं या भारत सरकार के प्रवक्ता या किसी सैंवेधानिक पद पर बैठे हैं? वो बस एक राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष है।
इस वजह से पाकिस्तान भारतीय पायलट अभिनंदन को हाथ भी नहीं लगा सकता
लोगों को अब ध्यान से समझना होगा जबतक अधिकारिक रुप से किसी चीज की पुष्टी न हो तबतक आपकी आंखों के सामने का सच भी सच नहीं होता। उदाहरण के तौर पर अगर किसी प्राकृतिक आपदा में सैंकडों लोगों के मारे जाने की खबर है लेकिन सरकार कहे कि 10 लोगों की ही जान गई है तो आप अधिकारिक रुप से 10 ही लोग दिखा सकते हैं। ज्यादा दिखाए तो नोटिस भी आ सकता है,ऐसी स्थिती में हमारी सरकारें आधों को तो लापता दिखा देती है और गरीबों और मजदूरों के मरने की तो पुष्टी होती ही नहीं। लेकिन यहां स्थिती ऐसी है कि राष्ट्र के नाम पर तो झूठ भी जायज होते हैं।