मुस्सद्दी लाल गुप्ता वो नाम है जो जून 2011 से दिल्ली के जंतर मंतर पर चरखा चला रहे हैं और सूत कात कर रहे हैं। वो अहिंसक, असंप्रदायिक, अराजनैतिक रुप से अपना आंदोलन सालों से चला रहे हैं। उनकी सरकार से मांग है कि वो गौवंश हत्याबंदी का केंद्रीय कानून लाए और गौमांस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाए।
वो विनोबा गौवंश बचाओ अभियान के तहत धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि सूत के जरिए वो ग्राम स्वराज का संदेश दे रहे हैं। उनका मानना है कि सूत के जरिए ग्राम स्वाभिलंबन का सपना पूरा होगा और जब गांव स्वाभिलंबित होगा तो चारों और शांति होगी। उनका मानना है कि जबतक किसान बैल से खेती नहीं करेगा तबतक गौवंश की हालत सुधरने वाली नहीं है। उनका कहना है कि किसान के लिए ये अमृत और उनके जीवन यापन का मुख्य साधन है। इससे किसानों की फटेहाली सुधरेगी।
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मुस्सद्दी लाल गुप्ता वो नाम है जो जून 2011 से दिल्ली के जंतर मंतर पर चरखा चला रहे हैं और सूत कात कर रहे हैं। वो अहिंसक, असंप्रदायिक, अराजनैतिक रुप से अपना आंदोलन सालों से चला रहे हैं। उनकी सरकार से मांग है कि वो गौवंश हत्याबंदी का केंद्रीय कानून लाए और गौमांस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बनाए।वो विनोबा गौवंश बचाओ अभियान के तहत धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि सूत के जरिए वो ग्राम स्वराज का संदेश दे रहे हैं। उनका मानना है कि सूत के जरिए ग्राम स्वाभिलंबन का सपना पूरा होगा और जब गांव स्वाभिलंबित होगा तो चारों और शांति होगी। उनका मानना है कि जबतक किसान बैल से खेती नहीं करेगा तबतक गौवंश की हालत सुधरने वाली नहीं है। उनका कहना है कि किसान के लिए ये अमृत और उनके जीवन यापन का मुख्य साधन है। इससे किसानों की फटेहाली सुधरेगी।उनका कहना है कि सरकार गाय की रक्षा नहीं कर रही है। अगर वो गाय की रक्षा करना चाहती है तो गाय की रक्षा को लेकर कानून लेकर आए। हालांकि उनका मानना यही है कि जबतक गाय का उपयोग नहीं होगा तबतक उसकी रक्षा नहीं होगी। मुस्सद्दी लाल की गोरक्षा करने का तरीका आजकल के गौरक्षों से काफी अलग है।उन्होंने खादी को अपना बगावत का झंडा बनाया है और वो सूत कातते हैं और वो महाराष्ट्र के वर्धा में विनोबा जी के आश्रम में जाकर ग्राम सेवा मंडल में कपडे की बुनाई के लिए दे देते हैं। उनका कहना है कि खादी जमाने से उलट है। वो जमाने से उलट है इसलिए वो बगावत है। उनकी अपेक्षाएं किसी सरकार से नहीं जनता से है और वो चाहते हैं कि जनता गाय और खादी दोनों को अपनाएं तभी गौरक्षा और हमारे गांव स्वाभलंबी बन पाएंगे।