दुनिया भर में आज यानी 30 मार्च को ‘अर्थ आवर डे’ मनाया जाएगा। ‘अर्थ आवर डे’ बिजली बचाने के मकसद से शुरू किए गए अभियान का हिस्सा है। इसके तहत दुनिया भर में एक घंटे के लिए बिजली को बंद रखा जाएगा। अर्थ आवर डे’ के दिन लोगों से कुछ देर (लगभग एक घंटा) के लिए गैर जरूरी बिजली उपकरण बंद रखने की अपील की जाती है। इस साल रात 8:30 बजे से 9:30 बजे तक यानी एक घंटा लाइट्स बंद करने की अपील है।
इस अभियान का नाम ‘अर्थ ऑवर वर्ल्ड वाइड फंड’ है। जिसे ‘वर्ल्ड वाइड फंड’ संस्था चलाती है। इस संस्था का मकसद लोगों को बिजली बचाने, पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। बता दे यह अभियान 2007 से चर्चा में है। इस अभियान के तहत सिडनी में पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देने के लिए एक घंटे लाइटें बंद कराई थीं। तभी से इसे पहचान मिली। अर्थ ऑवर वर्ल्ड वाइड फंड अभियान से जुड़ा दफ्तर सिंगापुर में है।
खबरों की माने तो इस संस्था को 5 मिलियन से ज्यादा लोग सपोर्ट करते हैं, ये लोग 100 से अधिक देशों के बताए जाते हैं। संस्था का उद्देश्य प्रकृति को हो रहे नुकसान को रोककर भविष्य को बेहतर बनाना है। दुनिया का सबसे बड़ा सौर उर्जा संयंत्र स्पेन में और दूसरे नंबर पर जर्मनी में है। भारत में राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा में सौर ऊर्जा पैदा की जाती है।
बिजली बचाने के लिए भारत में छोटी लेकिन ज़रूरी कोशिश ये हुई कि एडिसन बल्ब की जगह सीएफएल और फिर एलईडी बाजारों में उपलब्ध कराई गई। पीली रोशनी वाले बल्ब से ज्यादा लाइट खर्च होती थी। सीएफएल में इसकी तुलना में कम और एलईडी में उससे भी कम बिजली खर्च होती है।
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दुनिया भर में आज यानी 30 मार्च को ‘अर्थ आवर डे’ मनाया जाएगा। ‘अर्थ आवर डे’ बिजली बचाने के मकसद से शुरू किए गए अभियान का हिस्सा है। इसके तहत दुनिया भर में एक घंटे के लिए बिजली को बंद रखा जाएगा। अर्थ आवर डे’ के दिन लोगों से कुछ देर (लगभग एक घंटा) के लिए गैर जरूरी बिजली उपकरण बंद रखने की अपील की जाती है। इस साल रात 8:30 बजे से 9:30 बजे तक यानी एक घंटा लाइट्स बंद करने की अपील है।इस अभियान का नाम ‘अर्थ ऑवर वर्ल्ड वाइड फंड’ है। जिसे ‘वर्ल्ड वाइड फंड’ संस्था चलाती है। इस संस्था का मकसद लोगों को बिजली बचाने, पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक करना है। बता दे यह अभियान 2007 से चर्चा में है। इस अभियान के तहत सिडनी में पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देने के लिए एक घंटे लाइटें बंद कराई थीं। तभी से इसे पहचान मिली। अर्थ ऑवर वर्ल्ड वाइड फंड अभियान से जुड़ा दफ्तर सिंगापुर में है।खबरों की माने तो इस संस्था को 5 मिलियन से ज्यादा लोग सपोर्ट करते हैं, ये लोग 100 से अधिक देशों के बताए जाते हैं। संस्था का उद्देश्य प्रकृति को हो रहे नुकसान को रोककर भविष्य को बेहतर बनाना है। दुनिया का सबसे बड़ा सौर उर्जा संयंत्र स्पेन में और दूसरे नंबर पर जर्मनी में है। भारत में राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा में सौर ऊर्जा पैदा की जाती है।बिजली बचाने के लिए भारत में छोटी लेकिन ज़रूरी कोशिश ये हुई कि एडिसन बल्ब की जगह सीएफएल और फिर एलईडी बाजारों में उपलब्ध कराई गई। पीली रोशनी वाले बल्ब से ज्यादा लाइट खर्च होती थी। सीएफएल में इसकी तुलना में कम और एलईडी में उससे भी कम बिजली खर्च होती है।खबरों के अनुसार, दुनिया भर में नए-नए संसाधनों से बिजली बनाने और बचाने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं। हाल ही में एक ऐसी डिवाइस क्रिएट की गई, जिसके ज़रिए वाईफाई से बिजली आ सकेगी। ये डिवाइस MIT (Massachusetts Institute of Technology) और द टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड के वैज्ञानिकों ने बनाई है। डिवाइस वाईफाई सिग्नल्स को एनर्जी में बदलेगी। वो एनर्जी इलेक्ट्रिसिटी बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है।अब तक सौर उर्जा का इस्तेमाल सिर्फ सूर्य के प्रकाश में ही कर सकने में समर्थ थे लेकिन अब स्विडन के रिसर्चर्स ने इसे सूरज की रौशनी न होने पर भी इस्तेमाल करने लायक बना दिया है। उन्होंने सौर उर्जा को इकट्ठा कर, एक तरह का तरल पदार्थ तैयार किया है। जिसे सूरज की रोशनी न होने पर भी (बाद में इस्तेमाल) किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरल पदार्थ को महीनों-सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर ये इस्तेमाल करने लायक होगा।
खबरों के अनुसार, दुनिया भर में नए-नए संसाधनों से बिजली बनाने और बचाने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं। हाल ही में एक ऐसी डिवाइस क्रिएट की गई, जिसके ज़रिए वाईफाई से बिजली आ सकेगी। ये डिवाइस MIT (Massachusetts Institute of Technology) और द टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ मैड्रिड के वैज्ञानिकों ने बनाई है। डिवाइस वाईफाई सिग्नल्स को एनर्जी में बदलेगी। वो एनर्जी इलेक्ट्रिसिटी बनाने में इस्तेमाल की जा सकती है।
अब तक सौर उर्जा का इस्तेमाल सिर्फ सूर्य के प्रकाश में ही कर सकने में समर्थ थे लेकिन अब स्विडन के रिसर्चर्स ने इसे सूरज की रौशनी न होने पर भी इस्तेमाल करने लायक बना दिया है। उन्होंने सौर उर्जा को इकट्ठा कर, एक तरह का तरल पदार्थ तैयार किया है। जिसे सूरज की रोशनी न होने पर भी (बाद में इस्तेमाल) किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरल पदार्थ को महीनों-सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर ये इस्तेमाल करने लायक होगा।
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