19 अप्रैल यानी आज का दिन भारत के इतिहास में बड़ा दिन माना जाता है। आज के दिन ही भारत ने अपना पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च किया था। आज के दिन ही भारत ने आर्यभट्ट सैटेलाइट को लॉन्च कर स्पेस की दुनिया में अपना पहला कदम रखा और अपनी एक खास पहचान बनाई। ऐसे में आज आइए आर्यभट्ट से जुड़े कुछ दिलचस्प बातों को जानते हैं। आज हम आपको भारत के पहले सैटेलाइट के जुड़ी रोचक जानकारी देने जा रहे हैं…
अप्रैल 19, 1975 को भारत ने स्पेस की दुनिया में कदम रखा था। इस सैटेलाइट को आर्यभट्ट नाम तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दिया था। बता दें कि आर्यभट्ट 5वीं सदी के महान भारतीय गणितज्ञ थे। आर्यभट्ट भारत का पहला सैटेलाइट जरूर है लेकिन दुनिया का पहला सैटेलाइट स्पुतनिक था। इसे सोवियत संघ ने 1957 में लॉन्च किया था।
इस सैटेलाइट आर्यभट्ट का वजन 360 किलोग्राम था और इसको सोवियत संघ के इंटर कॉसमॉस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया था। इसरो के पूर्व प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय स्तर के अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रोफेसर यूआर राव का आर्यभट्ट को बनाने में बड़ा योगदान था।
खबरों के मुताबिक, इस उपग्रह को पीन्या में तैयार किया गया था, लेकिन इसका प्रक्षेपण सोवियत यूनियन की सहायता से कॉस्मॉस-3 एच से किया गया था। इसके एवज में 1972 में इसरो के वैज्ञानिक यूआर राव ने सोवियत संघ रूस के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया था, जिसके अनुसार सोवियत संघ रूस भारतीय बंदरगाहों का इस्तेमाल जहाजों को ट्रैक करने के लिए कर सकता था। इस उपग्रह के जरिये ही इसरो ने अंतरिक्ष में संचालन का अनुभव प्राप्त किया था।
इस सैटेलाइट को बनाने में आए खर्च को लेकर कहा गया था कि इसे बनाने से लेकर लॉन्च करने तक में 3 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। हालाकि बाद में यह खर्च बढ़ गया था।
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जब 1975 में इस सैटेलाइट को लॉन्च किया गया तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 1976 में दो रुपये के नोट के पिछले हिस्से पर छापा। 1997 तक दो रुपये के नोट पर आर्यभट्ट उपग्रह की तस्वीर छापी गई।
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