दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया फेसबुक भी आभासी मुद्रा (क्रिप्टो करेंसी) आधारित पेमेंट सिस्टम लाने की योजना बना रहा है। इस करेंसी को वह अपने दुनियाभर के करोड़ों यूजर्स के लिए पेश कर सकती है।
इसकी जानकारी अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने है। इसके मुताबिक़, यह पेमेंट बिटकॉइन की तरह ही डिजिटल क्वाइन का उपयोग करेगी, लेकिन यह थोड़ा अलग होगा। फेसबुक का लक्ष्य इसके मूल्य के स्थिर रखना होगा। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में मामले से जुड़े लोगों का हवाला दिया है।
साथ ही, इसमें कहा गया है कि फेसबुक नेटवर्क को पेश करने के लिए दर्जनों वित्तीय कंपनियों और ऑनलाइन मर्चेंट की नियुक्ति कर रही है। फेसबुक का सिर्फ इतना कहना है कि वह क्रिप्टो करेंसी प्रौद्योगिकी के लिए विभिन्न समाधानों की खोज कर रही है।
क्या है क्रिप्टो करेंसी
यह करेंसी है जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर बेस्ड होती है। यह इंडिपेंडेंट करेंसी होती है, जिसका कोई मालिक नहीं होता। वहीं, यह करेंसी किसी भी ऑथोरिटी के काबू में नहीं होती यानी इसका संचालन किसी राज्य, देश या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। इसे डिजिटल करेंसी, वर्चुअल करेंसी, इंटरनेट करेंसी, ई-करेंसी और पीपुल्स करेंसी के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन है, जिसे 2009 में जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के इंजीनियर ने डेवलप किया था।
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दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया फेसबुक भी आभासी मुद्रा (क्रिप्टो करेंसी) आधारित पेमेंट सिस्टम लाने की योजना बना रहा है। इस करेंसी को वह अपने दुनियाभर के करोड़ों यूजर्स के लिए पेश कर सकती है।इसकी जानकारी अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने है। इसके मुताबिक़, यह पेमेंट बिटकॉइन की तरह ही डिजिटल क्वाइन का उपयोग करेगी, लेकिन यह थोड़ा अलग होगा। फेसबुक का लक्ष्य इसके मूल्य के स्थिर रखना होगा। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में मामले से जुड़े लोगों का हवाला दिया है।साथ ही, इसमें कहा गया है कि फेसबुक नेटवर्क को पेश करने के लिए दर्जनों वित्तीय कंपनियों और ऑनलाइन मर्चेंट की नियुक्ति कर रही है। फेसबुक का सिर्फ इतना कहना है कि वह क्रिप्टो करेंसी प्रौद्योगिकी के लिए विभिन्न समाधानों की खोज कर रही है।क्या है क्रिप्टो करेंसीयह करेंसी है जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर बेस्ड होती है। यह इंडिपेंडेंट करेंसी होती है, जिसका कोई मालिक नहीं होता। वहीं, यह करेंसी किसी भी ऑथोरिटी के काबू में नहीं होती यानी इसका संचालन किसी राज्य, देश या सरकार द्वारा नहीं किया जाता। इसे डिजिटल करेंसी, वर्चुअल करेंसी, इंटरनेट करेंसी, ई-करेंसी और पीपुल्स करेंसी के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहली क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन है, जिसे 2009 में जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के इंजीनियर ने डेवलप किया था।क्रेडिट कार्ड का चलन कम हो सकता हैबिटकॉइन और इस जैसी क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू में लगातार उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। इस सिस्टम के आने से क्रेडिट कार्ड का चलन धीरे-धीरे कम हो सकता है। साथ ही इससे रेवेन्यू भी बढ़ सकती है। जर्नल ने इससे परिचित कई अज्ञात लोगों का हवाला दिया। इसमें कहा गया कि फेसबुक इसे लॉन्च करने के लिए दुनियाभर के फायनेंशियल फर्म और ऑनलाइन मार्चेंट्स की भर्ती कर रहा है। फेसबुक की उन यूजरों को रिवार्ड देने की योजना हो सकती हैं, जो विज्ञापनों और अन्य फीचर्स से जुड़ते हैं। फेसबुक का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी टेक्नोलॉजी के लिए वह कई सारे एप की छानबीन कर रहे हैं।