ISRO ने चंद्रयान-2 को आज दोपहर 2.43 बजे लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-2 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से भारी-भरकम रॉकेट जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (GSLV Mk-III) से लॉन्च किया गया।
बता दे 640 टन का जियोसिन्क्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क 3 (GSLV Mk-III) रॉकेट 44 मीटर लंबा है। इसमें 3.8 टन का चंद्रयान रखा गया है। चंद्रयान-2 का बजट 978 करोड़ रुपये है और इसका मकसद भारत को चंद्रमा की सतह पर उतरने और उस पर चलने वाले देशों में शामिल करना है।
वहीं, चंद्रयान 2 यदि 15 जुलाई को लॉन्च होता तो चांद पर उतरने की संभावित तारीख 6 सितंबर बताई जा रही थी। पहले ये मिशन 54 दिन में पूरा होना था।
वहीं तकनीकी खराबी के कारण मिशन को 7 दिन बाद लॉन्च किये जाने पर 48 दिन ही लगेंगे। यानी चंद्रयान-2 चांद पर 6 सितंबर को ही चांद पर पहुंच जाएगा। बता दें 6 सितंबर को चांद पर पहुंचने के लिए चंद्रयान-2 को पृथ्वी के चारों तरफ लगने वाले चक्कर में कटौती की जाएगी। संभवतः अब चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 के बजाय 4 चक्कर ही लगाएगा।
आपको बता दें, पृथ्वी और चांद की दूरी करीब 3.844 लाख किलोमीटर है। उड़ान के कुछ ही मिनटों बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा। यहां से शुरू होगी चांद की यात्रा।
इस मिशन के 3 मॉड्यूल्स हैं – लैंडर, इस मिशन के 3 मॉड्यूल्स हैं – लैंडर, ‘विक्रम’ और रोवर प्रज्ञान है। चांद की यात्रा शुरू होने पर चंद्रयान-2 में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान चांद तक जाएंगे। लैंडर विक्रम सितंबर या अक्टूबर में चांद पर पहुंचेगा और इसके बाद वहां प्रज्ञान काम शुरू करेगा।
#WATCH live from Sriharikota: ISRO launches #Chandrayaan2(Courtesy: ISRO) https://t.co/AiDD9xhQZQ
— ANI (@ANI) July 22, 2019
अब तक इसरो ने 3 जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट भेजे हैं। पहला रॉकेट 18 दिसंबर 2014 को, दूसरा 5 फरवरी 2017 को और तीसरा 14 नवंबर 2018 को भेजा गया है।