उत्तर प्रदेश के उन्नाव गैंगरेप मामले ने एक बार फिर से तूल पकड़ ली है। इस मामले में पीड़िता का आरोप है कि बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर ने उसके साथ ये घिनौना काम किया है। आइये मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर बताते है इस केस की पूरी डिटेल…
दरअसल ये मामला 2017 शुरू हुआ जब एक लड़की ने लखनऊ में सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास के पास आत्मदाह करने की कोशिश की। इस आत्मदाह मामले के मीडिया में आते ही पता चला कि बीजेपी विधायक व अन्य लोगों ने उन्नाव में रहने वाली नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप किया।
इस मामले के उठते ही पीड़िता के पिता को बुरी तरह पीटे जाने का मामला सामने आया। आरोप था कि पुलिस के सामने विधायक के लोगों ने पीड़िता के पिता को पीटा। इतना ही नही, पीड़िता के पिता को ही जेल भी भेज दिया गया। दरअसल पुलिस ने उनकी बेटी के साथ रेप का मुकदमा नहीं लिखा था, इससे परेशान होकर वो कोर्ट की शरण में चले गए थे।
इसके बाद कोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने के बाद मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। आरोप है कि मुकदमा दर्ज किए जाने से नाराज विधायक के भाई ने अपने लोगों के साथ मिल कर पीड़िता के पिता को बुरी तरह पीटा। पुलिस ने मारपीट के मामले में पीड़िता के पिता को जेल भेज दिया।
पीड़िता के पिता की जेल में तबियत खराब हो गई और खून की उल्टियां होने लगीं तो उन्हें अस्पताल भेजा गया जहां उनकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पता चला कि पिटाई के कारण उनकी आंतें फट गई थीं। इस बीच उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सेंगर सामने आए और खुद को निर्दोष बताया।
मामला यही नही थमा बीजेपी विधायक ने पीड़िता के चाचा पर आरोप लगाए और कहा कि प्रधानी के चुनाव के कारण वह (चाचा) उनसे रंजिश रखते हैं। इस सबके बीच विपक्ष योगी सरकार पर लगातार निशाना साध रहा था और एक के बाद एक बयान सामने आ रहे थे। उस वक्त योगी सरकार कानूव व्यवस्था के मुद्दे पर लगातार घिरती हुई नजर आ रही थी।
ऐसे में सीएम योगी ने कहा कि इस मामले को दोषी बक्शे नहीं जाएंगे. मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश जारी कर दिए। इसी के बाद विधायक के भाई अतुल सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया। इधर एसआईटी ने भी अपनी जांच शुरु कर दी थी लेकिन दूसरी ओर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर दिया था।
अप्रैल 2018 में सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच के लिए याचिका भी दायर की गई। इसी दौरान विधायक की पत्नी ने अपने पति को बेगुनाह और पीड़ित परिवार को झूठा बताया। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और जांच रिपोर्ट मांगी।
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हाईकोर्ट ने पुलिस से पूछा कि पॉक्सो एक्ट में एफआईआर के बाद भी अभी तक आरोपी की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई है। इसी दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने दिल्ली के इंडिया गेट पर कैंडल मार्च निकाला और मोदी सरकार पर निशाना साधा। कठुआ के साथ-साथ इस दौरान उन्नाव केस की भी बात की गई।
इसी के तुरंत बाद कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया। मई 2018 में उन पर जेल से गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगा। अगस्त 2018 में घटना के एक गवाह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई जिसके बाद शव को कब्र से निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
2019 में जेल में बंद रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर से मिलने के लिए बीजेपी नेता और सांसद साक्षी महाराज भी पहुंचे।
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29 जुलाई को पीड़िता की गाड़ी और ट्रक की भिड़ंत में उसकी चाची और मौसी की मौत हो गई, जबकि ड्राइवर और पीड़िता गंभीर रूप से घायल हैं। इनके साथ पीड़िता अपने चाचा से मिलने जा रही थी जो जेल में बंद हैं। जिस ट्रक से ये हादसे हुआ उसे नंबर प्लेट पर काला पेंट किया हुआ था और हादसे के वक्त सुरक्षाकर्मी पीड़िता के साथ नहीं थे।
पीड़िता कि मां ने दावा किया है किया कि यह दुर्घटना उनकी बेटी और अन्य को खत्म करने की एक साजिश थी। दरअसल जिस कार में पीड़िता का परिवार जा रहा था, उसे एक तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसके बाद यह मामला एक बड़े विवाद में बदल गया। ट्रक के मालिक, ड्राइवर और क्लीनर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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लेकिन डीजीपी यूपी ओपी सिंह का कहना है कि पीड़िता खुद ही सुरक्षाकर्मियों को अपने साथ नहीं ले गई थीं। फिलहाल सभी पहलुओं की जांच की जा रही है और पीड़िता का इलाज किया जा रहा है।
वहीं, अब सामने आया है कि जिस ट्रक से टक्कर मारी गई थी वो समाजवादी पार्टी नेता नंदू पाल के बड़े भाई देवेंद्र पाल का है। हादसे के बाद फतेहपुर के जेल रोड पर देवेंद्र पाल के मकान में ताला बंद है।
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