बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का आज यानी शनिवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया। 66 साल के जेटली लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। दरअसल, उन्हें पिछले कई दिनों से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। उनका अंतिम संस्कार रविवार को 2 बजे दिल्ली के निगम बोध घाट पर किया जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर बताते है उनके जीवन से जुड़ी बातें…
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली में हुआ था। वकील महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के पुत्र अरुण जेटली ने अपनी स्कूली शिक्षा दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल में 1957 से 1969 के दौरान ली। उन्होंने सन 1973 में दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीकॉम किया। इसके बाद उन्होंने सन 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की। वह 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित होने के बाद उन्हें वर्ष1975-77 के आपातकाल के दौरान 19 महीनों तक हिरासत में रखा गया। इसके बाद धीरे-धीरे वह राजनीतिक की सीढ़िया चढ़ते हुए शीर्ष पर पहुंच गए।
वहीं, अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से विवाह किया। उनके दो बच्चे पुत्र रोहन और पुत्री सोनाली हैं। अरुण जेटली वेजेटेरियन थे और पंजाबी ब्राह्मण थे। उन्हें अध्ययन करने और लिखने का शौक था। उन्होंने कानून की कई पुस्तकें लिखीं।
इसके बाद पूर्व वित्त मंत्री वर्ष 1991 से ही बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे। वह वर्ष 1999 के आम चुनाव से पहले भाजपा के प्रवक्ता थे। उन्हें वर्ष 1999 में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग के सत्ता में आने के बाद सूचना एवं प्रसारण (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री बनाया गया। उन्हें विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भी बनाया गया था।
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वह वर्ष 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में भी योगदान दिया। उन्होंने इस वर्ष राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सत्ता में वापसी करने के बाद अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण श्री मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया। जेटली ने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी की सरकार में वित्त, रक्षा, कॉपोर्रेट, वाणिज्य एवं उद्योग, कानून एवं न्याय से संबंधित मंत्रालयों का प्रभार संभाला था।
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जेटली को 23 जुलाई 2000 को कानून, न्याय एवं कंपनी मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया। उन्हें यह अतिरिक्त प्रभार उस समय के कानून, न्याय एवं कंपनी मामलों के मंत्री राम जेठमलानी के इस्तीफे के बाद सौंपा गया था।
वहीं, 2002 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया। 2009 में वो राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष चुने गए। 2012 में उन्हें गुजरात से राज्य सभा में भेजा गया। 2014 में मोदी सरकार में उन्हें वित्त मंत्रालय जैसा बड़ा पद दिया गया। 2018 में वो उत्तर प्रदेश से चुनकर फिर राज्य सभा में पहुंचे। 2019 में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया।