जब कोई कोई व्यक्ति अचानक अमीर हो जाने पर अपनी औकात भूल जाता है और अपने अहंकार में इतना लिप्त हो जाता है कि अपने संग-साथियों को भी भूल जाता है। कुछ ऐसा ही दिखाया गया नाटक ‘कौआ चला हंस की चाल’ में। इसी नाटक के साथ गुरुग्राम में सप्तक कल्चरल सोसायटी के त्रिखा थियेटर अकादमी में चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य उत्सव का मंगलवार को समापन किया गया।
इस खास मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद पूर्व चीफ मुख्य आयकर आयुक्त अशोक भारद्वाज ने कहा कि सप्तक कल्चरल सोसायटी द्वारा कराए जाने वाले इस तरह के आयोजन से कलाकारों को मौका व प्रोत्साहन मिलता है। साथ ही, उन्होंने त्रिखा थियेटर अकादमी के निदेशक विश्वदीपक त्रिखा को भी नाटक की अलख जगाये रखने के लिए बधाई दी।
इसके अलावा, वहां मौजूद विशिष्ट अतिथि के रूप में मेगास्टार अकादमी ऑफ ड्रामैटिक आट्र्स के निदेशक अरुण मारवाह ने भी थियेटर अकादमी का धन्यवाद करते हुए कहा कि दिल्ली-एनसीआर में नाटक करना बहुत ही महंगा हो गया है। ऐसे में यह अकादमी कलाकारों को निशुल्क मंच उपलब्ध करवाकर नाट्य कलाकारों को जो प्रोत्साहन दे रही है, उनके लिए अकादमी के चेयरमैन जतिन राव भी बधाई के पात्र हैं।
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इस दौरान नाटक के अंत में निर्देशक राजेश तिवारी को उनकी नाटक के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नाट्यश्री अवार्ड 2019 से सम्मानित किया गया। यह अवार्ड उन्हें पिछले वर्ष के अवार्डी विख्यात रंगकर्मी रवि तनेजा, अशोक भारद्वाज, शिवरमण गौड़, पूर्व वीसी एचएस चहल, अरुण मारवाह ने प्रदान किया। इस मौके पर विख्यात संगीतज्ञ अनिल संडूजा, हरियाणा कला परिषद के समन्वयक मदन डागर को भी स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
बता दें लेखक मोलियार द्वारा लिखे गए एक नाटक के हिंदी अनुवाद ‘कौआ चला हंस की चाल’ नाटक में इंसान के अहंकार का सुंदर मंचन किया गया। इस नाटक में काफी हास्यास्पद स्थितियां पैदा होती हैं और नाटक की हैप्पी ऐंडिंग होती है।
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