पावर ऑफ अटॉर्नी एक कानूनी दस्तावेज है, जिसके तहत एक या उससे अधिक व्यक्ति अपनी तरफ से किसी अन्य को अपना कार्य करने का अधिकार देते हैं। इसके तहत अधिकार देने वाले व्यक्ति को अधिकारधारक पक्ष का वकील कहा जाता है। शक्ति प्राप्त करने वाले व्यक्ति को पावर ऑफ अटॉर्नी धारक कहा जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको पॉवर ऑफ अटॉर्नी को हमेशा के लिए स्थायी करने का समाधान भी बता रहे हैं, जिससे ये कभी रद्द नहीं होगी। लेकिन इससे पहले जान लेते हैं इसके बारे में थोडा विस्तार से।
क्या पावर ऑफ अटॉर्नी के पंजीकरण की जरुरत होती है?
देखा जाए तो पावर ऑफ अटॉर्नी के पंजीकरण की कोई जरुरत नहीं होती है। हालांकि अगर यह किसी अचल संपत्ति से संबधित हो तो इसका पंजीकरण होना आवश्यक हो जाता है। इसे तहसील में रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार के सामने प्रमाणित किया जा सकता है। अगर पावर ऑफ अटॉर्नी भारत के बाहर निष्पादित की जाती है, तो इसे नोटरी पब्लिक या किसी कोर्ट के जज, मजिस्ट्रेट या केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के माध्यम से। द्वारा प्रमाणित किया जा सकता है।
जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी बनाम स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी-
एक सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी में, पावर ऑफ अटॉर्नी देने वाला व्यक्ति उस अटॉर्नी के धारक को उसके नाम पर और उसकी ओर से उसकी अचल और चल संपत्ति के संदर्भ में किसी भी प्रकार की गतिविधि करने के लिए अधिकृत करता है। एक विशेष मुख्तारनामा (पावर ऑफ अटॉर्नी) में प्रदानकर्ता किसी को उसकी ओर से सीमित गतिविधियों को करने के लिए अधिकृत करता है या सीमित अधिकार प्रदान करता है।
क्या करें जिससे पावर ऑफ अटॉर्नी कभी रद्द न हो-
पावर ऑफ अटॉर्नी कभी रद्द न हो इसके लिए आपको सबसे पहले जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) चुननी होगी। स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी में आपको ये अधिकार नहीं मिलते हैं, क्योंकि वो सीमित अधिकार वाली होती है जो एक कार्य के बाद रद्द हो जाती है। जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी आपको किसी तहसील में जाकर सब-रजिस्ट्रार अफसर के सामने जाकर करनी होगी जहां दोनों पक्षों फोटो और साइन सब-रजिस्ट्रार के सामने होंगे और वहां के डोक्योमेंट्स में इनका रिकॉड रखा जाएगा।
सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी की प्रक्रिया पूरी होने बाद आप इसको स्थायी करने के लिए एक अलग से एग्रीमेंट जरुर करें, उस एग्रीमेंट में आपको लिखवाना होगा कि प्रथम पक्ष इस पावर ऑफ अटॉर्नी को अनिश्चितकालीन समय के लिए कर रहा है और ये अंतिम पावर ऑफ अटॉर्नी है जो कभी रद्द नहीं होगी। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो प्रथम पक्ष सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी को भी तहसील में जाकर रद्द करा सकता है। ऐसे में आप एग्रीमेंट जरुर करे और उसे नोटराइज जरुर करा लें।
अगर आपको लगता है कि आपका मामला लंबा चलने वाला है और प्रथम पक्ष वाले व्यक्ति का किसी कारणवश मृत्यु न हो जाए, ऐसी स्थिती में आप एक वसीयतनामा (विल) भी लिखवा लें, उसमें वो आपको उस संबधित प्रापर्टी के बारे में लिखकर देगा कि अगर उसकी मृत्यु होने के बाद भी ये संपत्ति उसकी संतानों पर न जाकर संबधित व्यक्ति पर ही जाएगी।
किन कार्यों में पॉवर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल किया जा सकता है-
संपत्ति से जुड़े मामलों, किसी वाहन से संबधित मामले में, बैंक खाते के संचालन के संबध में, बीमा पालिसी के संबध में, किसी अचल संपत्ती के संबध में भी पॉवर ऑफ अटॉर्नी को दिया जा सकता है। अचल संपत्ती से संबधित पॉवर ऑफ अटॉर्नी पर इसके प्रदाता के हस्ताक्षर होने और इसका रजिस्ट्र होना जरुरी हो जाता है। जमीनी या किसी बिल्डिंग के संबध में दी जाने वाली पॉवर ऑफ अटॉर्नी उस संपत्ति का असल मालिक अपने उससे संबधित सभी अधिकार पॉवर ऑफ अटॉर्नी धारक के नाम कर देता है। इससे धारक उस संपत्ति का विक्रय करने का हकदार भी हो जाता है। वो उसपर निर्माण, किराए पर देने आदि का अधिकारी भी हो जाता है। इसके अलावा वो उन सब अधिकारों का इस्तेमाल कर सकता है जिनका जिक्र पॉवर ऑफ अटॉर्नी करने के दौरान उसके फोर्मेट में किया गया था।
कौन कर सकता है पॉवर ऑफ अटॉर्नी –
जो व्यक्ति किसी बीमारी से जूझ रहा है, बूढ़ा हो चला है या किसी अन्य कारणवश वो अपनी संपत्ति की देखबाल नहीं कर पा रहा है, ऐसे सभी व्यक्ति पॉवर ऑफ अटॉर्नी के तहत अपनी उस संपत्ती के सभी अधिकार किसी अन्य व्यक्ति को सौंप सकते हैं। दिमागी पागलपन से ग्रस्त व्यक्ती या फिर 18 वर्ष से कम आयु वाला नाबालिग पॉवर ऑफ अटॉर्नी नहीं कर सकता।
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पॉवर ऑफ अटॉर्नी को रद्द करना-
पावर ऑफ अटॉर्नी कैसी भी हो उसे किसी भी समय रद्द किया जा सकता है, वसीयतनामे को भी इसकी तरह कभी भी रदद् किया जा सकता है। लेकिन हमने आपको इस आटिर्कल में ऊपर ऐसे तरीके बताएं हैं जिससे आप इसे अनिश्चित समय के लिए कर सकते हैं और इसे कभी रद्द नहीं किया जा सकता। इसके अलावा सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी और स्पेशल पावर ऑफ अटॉर्नी को किसी भी समय उसका प्रदाता रद्द कर सकता है।
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