अंग्रेजी वेबसाइट द गार्जियन के मुताबिक हिंदी थोपने और हिंदी साम्राज्य के एजेंडे का आरोप भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर लगाया जा रहा है। पूर्व और दक्षिण भारत में गैर हिंदी भाषी राज्य वापस लड़ रहे हैं। तमिलनाडु दक्षिण भारतीय राज्य के एक 85 वर्षीय किसान एमवी थंगावेल नवंबर की एक सुबह, एक स्थानीय राजनीतिक दल के कार्यालय के बाहर मोदी को संबोधित करते हुए एक बैनर उठाए खड़े थे। जिसमें लिखा था” ‘केंद्र सरकार’ ‘मोदी सरकार’हमें हिंदी नहीं चाहिए हिंदी से छुटकारा पाएं।”फिर खुद को पैराविन में उड़ेल कर आग लगा ली जिससे थंगावेल की मृत्यु हो गई।
हाल के भाषण में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा ” भाजपा हिंदी को थोपने और ‘वन एवरीथिंग, वन नेशन’ की नीति के आधार पर इसे एक भाषा बनाने की कोशिश कर रही है और अन्य भाषाओं को नष्ट करने की कोशिश कर रही है।दुनिया के सबसे भाषाई विविधता वाले देशों में एक भारत है यहां भाषा एक लंबे समय से विवादास्पद मुद्दा रहा है। लेकिन मोदी के द्वारा हिंदी को देश की प्रमुख भाषा बनाने के लिए एक धक्का दिया जा रहा है।
कैबिनेट के कागजात
हिंदी को स्कूलों में अनिवार्य करने के प्रयास के माध्यम से सरकार के मामलों को पूरी तरह से एक ही भाषा में संचालित करने का प्रयास हो रहा है। मोदी के भाषण ज्यादातर हिंदी में दिए जाते हैं और अब कैबिनेट के कागजात 70% से भी ज्यादा हिंदी में ही तैयार किए जाते हैं। 2019 में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर कोई एक भाषा है जो देश को जोड़े रखने की क्षमता रखती है तो वह हिंदी है।
भाषाविद गणेश नारायण देवी ने कहा
भारत के सबसे प्रसिद्ध भाषाविद गणेश नारायण देवी के अनुसार, जिन्होंने भारत की सात सौ से ज्यादा भाषाओं और बोलियों को रिकॉर्ड करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, हाल ही में हिंदी को ठोकने के प्रयास को “खतरनाक और हास्यास्पद” दोनों थे। देवी का कहना है यह भाषाओं की बहुलता है जिसने पूरे इतिहास में भारत को एकजुट किया है। भारत अब तक भारत नहीं हो सकता जब तक उसमें सभी देशी भाषाएं समाहित ना हो।
2011 की जनगणना
2011 की जनगणना के अनुसार 44% भारतीय हिंदी भाषा का उपयोग करते हैं। हालांकि 53 देशी भाषाएं जिनमें से कुछ हिंदी से पूरी तरह अलग है पर लाखों बोलने वाले है। जिन्हें हिंदी के बैनर तले वर्गीकृत किया गया है। अन्य भाषा को हटाने के बाद हिंदी बोलने वालों की संख्या लगभग 27% तक कम हो जाएगी। जिसका मतलब है कि देश का तीन चौथाई धाराप्रवाह में नहीं है।
देवी का कहना है कि भारत का बहुभाषी होना मूल में है। उन्होंने कहा कि आप देखेंगे कि लोग अपनी प्रार्थनाओं के लिए संस्कृत भाषा का उपयोग करते हैं। दिल के मामले और फिल्मों के लिए हिंदी, निजी विचारों और अपने परिवार के लिए अपनी मातृभाषा और करियर के लिए अंग्रेजी का इस्तेमाल करते हैं। एक भाषा बोलने वाले भारतीय को ढूंढना मुश्किल है इसका जश्न मनाना चाहिए, धमकी नहीं।
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दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय सेंटर फोर पॉलिटिकल स्टडीज में प्रोफेसर पापिया सेनगुप्ता का कहना है, की मोदी के तहत भाषा एक भारी राजनीतिक मुद्दा बन गया है। कहना यह है कि भारत को फिर से हिंदू राज्य के रूप में परिभाषित किया जाना चाहिए। एक सच्चा हिंदू और एक सच्चा भारतीय होने के लिए आपको हिंदी भाषा का उपयोग करना चाहिए। इसे लागू करने में ज्यादा से ज्यादा सफल होते जा रहे हैं।
बांग्ला पोक्खो के महासचिव गार्गा चटर्जी का कहना है
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2018 में स्थापित एक बंगाली राष्ट्रवादी समूह बांग्ला पोक्खो के महासचिव गार्गा चटर्जी का कहना है, “यह हिंदी साम्राज्य है” प्रथम श्रेणी के नागरिक जबकि हम गैर हिंदी लोग जिनमें बंगाली भी शामिल है द्वितीय श्रेणी में आते हैं। चटर्जी का कहना है कि भारत में सबसे ज्यादा दूसरी बोले जाने वाली भाषा बंगाली होने के बावजूद, वह अपनी मातृभाषा में संविधान की एक प्रति भी प्राप्त नहीं कर सके, रेलवे टिकट बुक कर सके या टैक्स भर सके, बैंक खाता नहीं खोल सके।
उनका कहना है कि यह हिंदी भाषा को भारत का चेहरा बना रहे हैं यह भारत की एकता के लिए सीधा खतरा है। हम बंगालियों से हिंदी में बात की जा रही है परंतु हम आप पीछे नहीं हटेंगे। हमारी भाषा वह है जो हम बोलते हैं और हम इसके लिए मर मिटेंगे।