पीपल के पेड़ को लेकर ना जाने हम ने आज तक कितने कहानियां और किस्से सुने होंगे ऐसे बहुत से कहानियां में मान्यताएं होती है जिन पर बिना सोच विचार कि हम आगे बढ़ जाते हैं और उन पर विश्वास इसलिए करते हैं, क्योंकि उनका ज़िक्र वेदों-शास्त्रों में होता है इसके साथ ही हमारे बड़े उन सभी बातों का ज्यों का त्यों पालन करते हैं। ऐसे में पीपल के पेड़ को लेकर प्रचलित मान्यता है तो आपने सुनी ही होगी कि रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे आराम करने या सोने से आपके शरीर पर आत्माएं कब्जा कर लेती है या नकारात्मक उर्जा का प्रकोप आपके शरीर पर पड़ता है जोकि पूर्ण रूप से सत्य नहीं है।
विज्ञान के अनुसार-
अगर विज्ञान की माने तो रात्रि के समय पीपल के पेड़ के पास इसलिए नहीं जाना चाहिए क्योंकि सूर्य के प्रकाश में पेड़ पौधे प्रकाश संश्लेषण करते हैं, जिसके कारण वे ऑक्सीजन का एहसास करते हुए कार्बन-डाइऑक्साइड लेते हैं। लेकिन सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में रात के समय पीपल का पेड़ हवा में कार्बन- डाइऑक्साइड छोड़ता है जो कि हमारे शरीर के लिए हानिकारक होती है। अगर आप रात्रि के समय पीपल के पेड़ के नीचे सोएंगे या आराम करेंगे तो आपको ऑक्सीजन की कमी महसूस होगी और सांस लेने में दिक्कत होगी इसलिए विज्ञान रात के समय पीपल के पास जाने से मना करता है।
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शास्त्रों के अनुसार-
वेदों और शास्त्रों में पीपल के पेड़ का जिक्र किया गया है जिसने रात्रि के समय पीपल के पेड़ के पास जाने से मना किया गया है लेकिन इसका कारण यह नहीं है कि पीपल के पेड़ पर आत्माओं का वास होता है बल्कि शास्त्रों में पीपल का पेड़ को पूजने बताया गया है। माना जाता है कि पीपल के पेड़ के मूल में ब्रह्मा मध्य में भगवान विष्णु और पीपल के अग्रभाग में देवों के देव महादेव वास करते हैं जिसके कारण पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार रात के समय पीपल के पेड़ के पास इसलिए नहीं जाना चाहिए क्योंकि रात्रि के समय पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी का वास होता है जिसके कारण घर में गरीबी और दुर्भाग्य वास करता है, जिसके चलते पीपल के पेड़ को लेकर अनेक मान्यताएं सुनने में आती है पीपल के पेड़ पर भूत प्रेतों का वास होता है। रात्रि के समय भूत अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं जिसके चलते यदि आप रात्रि के समय पीपल के पेड़ के पास जाओगें तो आप इस शरीर पर उनका कब्जा हो जाएगा जो कि ग्रामीण इलाकों में ज्यादा प्रचलित मान्यता है।
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