जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक कारों की डिमांड बढ़ रही है, उसके साथ ही इससे जुड़ी कई परेशानियां भी सामने आ रहीं हैं जो कि इलेक्ट्रिक कार मालिकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में अगर आप भी इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं तो ऐसी कई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो जाएं। आज हम आपको इलेक्ट्रिक वाहनों से होने वाली परेशानियों के विषय में बताने जा रहे जिससे भविष्य में आपको पछताना ना पड़े।
लिमिटेड चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर :
भारत में इलेक्ट्रिक कार मालिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती इलेक्ट्रिक कारों के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर है। अभी तक किसी भी ईवी कम्पनी ने इसके चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। तो वहीं इसके चार्जिंग स्टेशन की संख्या भी सीमित है। जिसके चलते लम्बी यात्रा के दौरान आपको इसकी चार्जिंग को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
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लिमिटेड रेंज पॉवर :
दूसरे नंबर पर बात करते हैं इसकी रेंज की क्यूंकि इलेक्ट्रिक कार की रेंज भी सीमित होती है। ऐसे में लॉन्ग ड्राइव के दौरान चार्ज खत्म होने की सम्भावना बनी रहती है। जिससे ड्राइविंग के दौरान बार-बार चालक का ध्यान कार की बची हुई चार्जिंग और रेंज की तरफ जाता है। इससे कई बार anxiety की स्तिथि भी पैदा हो जाती है।
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Law Battery Power :
इसकी बैटरी परफॉरमेंस भी बहुत कम होती है। जिसका असर कार की रेंज और उसकी पॉवर पर पड़ता है। इलेक्ट्रिक कार को खरीदने के कुछ सालों बाद ऐसी नौबत आ सकती है और अगर आपको इसकी बैटरी बदलवानी पड़ती है, तो फिर आपको इसके लिए एक अच्छी-खासी रकम चुकानी पड़ेगी।
हाई प्राइस :
बात करें इसकी कीमत की तो इलेक्ट्रिक कारें, पेट्रोल और डीजल की तुलना में काफी महंगी होती है। आप किसी भी कार का उदहारण ले सकते हैं , जैसे टाटा nexon को ही ले लीजिये इसके ईवी और और पेट्रोल वर्जन की कार में ज़मीन-आसमान का अंतर है। जिसके लिए आपको लाखों रूपये खर्च करने पड़ सकते हैं।