RBI ने पिछले हफ्ते जानबूझकर लोन न चुकाने वालों यानी भुगतान करने की क्षमता के बावजूद ऋण न चुकाने वालों पर रोक लगाने के लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया है। इस नियमों से विलफुल डिफॉल्टर्स की मुश्किलें बढ़ सकती है। दरअसल विलफुल डिफॉल्टर्स यानी की कर्ज लेने वाले ऐसे लोग जिनके पास लोन चुकाने की क्षमता तो है लेकिन वह फिर भी ऐसा नहीं करते। ऐसे लोगों के खिलाफ RBI ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है RBI ने नए ड्राफ्ट में कहा है कि 25 लाख रुपए से ज्यादा का कर्ज लेने वाले विलफुल डिफॉल्टर्स पर कई तरीकों से नकेल कसी जाएगी। खास बात यह है कि यह नियम लोन देने वाली कंपनियों की फीडबैक और विभिन्न अदालतों के सुझावों पर आधारित होगी।
डिफॉल्ट लोन रकम लगभग 3.4 लाख करोड रुपए-
विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ यह बदलाव बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि हाल के वर्षों में जानबूझकर लोन न चुकाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2022 के आखिर तक जानबूझकर डिफॉल्ट लोन रकम लगभग 3.4 लाख करोड रुपए तक पहुंच गई, ऐसे डिफॉल्टर्स फाइनेंशियल सिस्टम के लिए अपराधिय हैं। क्योंकि वह उधार लेते हैं और भाग जाते हैं, क्योंकि बैंक जनता के पैसे का संरक्षण है और जब लोन के तौर पर उधार दिया गया पैसा वापस नहीं मिलता, तो इसका खामियाजा जमा कर्ताओं को भुगतना पड़ता है।
दिवालिया या डिफॉल्ट होना एक तरीका-
जानबूझकर कर्ज ना चुकाने वाले संकटग्रस्त कर्जदार या कारोबारियों के लिए दिवालिया या डिफॉल्ट होना एक तरीका बन गया है। जिससे वह लोन नहीं चुकाने से बचने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोग लंबे समय से कानूनी खामियों के साथ-साथ धन की ताकत का इस्तेमाल करके बैंकिंग प्रणाली को खतरे में डाल रहे हैं। ऐसे डिफॉल्टर्स को लेकर RBI ने जो प्रस्ताव दिया है, उसमें इन लोगों को कोई नया लोन लेने के लिए पहले अपने पुराने एनपीए का अकाउंट को सेटल करना होगा। आरबीआई से प्रस्ताव दिया गया है कि किसी खाते के एनपीए होने के 6 महीने के अंदर उसे पर विलफुल डिफाल्टर का टैग लगा देना चाहिए।
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विलफुल डिफाल्टर का टैग-
एक बार जब बैंक लोन लेने वाले किसी व्यक्ति पर विलफुल डिफाल्टर का टैग लगाएगा, तो फिर उसे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसमें सबसे पहले ऐसे लोगों को बैंक की संस्थान से कोई लोन नहीं मिलेगा। आरबीआई के ड्राफ्ट में कहा गया है कि एनबीएफसी को भी इन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए खातों को विलफुल डिफॉल्टर टैग करने की मंजूरी मिलनी चाहिए। आरबीआई ने अपनी सर्कुलर में कहा है, कि इंसान इन निर्देशों का मकसद जानबूझकर कर्ज ना चुकाने वालों के बारे में एक सिस्टम तैयार करना है। जिससे लोन देने वाले बैंक या वित्तीय संस्थान तय कर सके कि ऐसे लोगों को आगे लोन नहीं देना है।
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