सनातन धर्म में पूजा-पाठ को बहुत महत्व दिया गया है रोजाना लोग अपने ईष्ट की आराधना करते हैं, जिससे उन्हें अपने ईष्ट के प्रति जुड़ाव महसूस होता है। वहीं कुछ लोग रोजाना मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए भी जाते हैं, घर में पूजा स्थल हो या फिर मंदिर हर जगह पूजा-पाठ के कुछ नियम का पालन किया जाता है। जिसके अनुसार पूजा करने से पूजा का पूर्ण फल मिलता है जैसे सभी देवी-देवताओं के पूजा का एक निश्चित समय और विधि होती है। अक्सर हम देखते हैं, कि मंदिरों में सुबह-शाम आरती की जाती है, दोपहर के समय मंदिर में पर्दा डाल दिया जाता है वहीं शाम की आरती के बाद भी पर्दा डाल जाता है जोकि पूजा के नियमों में से ही एक है।
वहीं शास्त्रों के अनुसार, पहर दो होते हैं यानी सुबह और रात होती है, तो हम सोते हैं और जागते हैं उसी प्रकार भगवान भी रात के समय सोते हैं, उनकी नींद में कोई विघ्न ना पड़े इसलिए शाम की आरती के बाद रात के समय पर्दा डाल दिया जाता है, वहीं सुबह नहाकर उस पर्दे को हटाया जाता है।
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मंदिर के पर्दे के लिए रंग-
आप यदि घर के मंदिर में पर्दा लगा रहे हैं, तो आपको उचित रंग के पर्दे का चुनाव का करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, पीले रंग काफी शुभ होता है माना जाता है कि पीला रंग आध्यात्म की दृष्टि से सबसे श्रेष्ठ रहता है। इससे घर के लोगों का मन आध्यात्म को बढ़ावा मिलता है और मन शांत रहता है। इसके साथ ही आप हल्के रंग यानी क्रीम, गुलाबी और लाल रंग के पर्दे का भी चुनाव कर सकते हैं। लेकिन आपको कभी भी मंदिर के पर्दे के लिए डार्क कलर जैसे काला, नीला रंग नहीं चुनना चाहिए।
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