जूली चौरसिया
लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं और बीजेपी से लेकर विपक्षी दल सभी जी जान से चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। इसके साथ ही लगातार विपक्षी दलों के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। इन्हीं नेताओं में जयंत चौधरी भी शामिल हैं। ऐसा कहा जाता है कि जाट समाज की बीजेपी की ओर नाराज़गी को देखते हुए बीजेपी ने जयंत चौधरी को अपनी पार्टी में शामिल किया था। पार्टी में शामिल करने के बाद बीजेपी ने जयंत चौधरी की खूब सराहना की। लेकिन सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि जयंत चौधरी के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी के अंदर काफी लोगों में नाराज़गी है। जिसके चलते अब जयंत चौधरी को दरकिनार किया जा रहा है।
नबीजेपी के नेताओं में जयंत को लेकर नाराज़गी-
सूत्रों के हवाले से यह कहा जा रहा है कि जयंत चौधरी के आने से पार्टी के लोग नाराज़ थे। क्योंकि अगर बीजेपी अन्य दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करके टिकट दे देगी, तो बीजेपी के नेताओं का क्या होगा। जयंत चौधरी को लेकर बीजेपी के ठाकुर नेताओं में तो नाराज़गी थी ही अब जयंत को लेकर जाट नेताओं में भी नाराज़गी शुरु हो हो गई। जिसके चलते अब पार्टी के शीर्ष नोताओं को लगने लगा कि अगर जयंत चौधरी को ज्यादा सराहा गया तो अपने ही खेमे के लोग बगावत पर उतर जाएंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि नेताओं की नाराज़गी को देखते हुए, जयंत चौधरी को दरकिनार कर दिया गया।
रैली में जयंत चौधरी नहीं हुए शामिल-
कहा जा रहा है कि पहली रैली के दौरान उन्हें सबसे कोने वाली सीट दी गई। एक तरह से उनका अपमान किया गया। रैली के दौरान वह कहीं नज़र ही नहीं आए। इसके बाद साहरनपुर और कैरान में बीजेपी की रैली थी। जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उपस्थित रहे। सूत्रों के हवाले से यह कहा गया है कि रैली के लिए जयंत चौधरी ने बहुत सी तैयारियां की थी। इसके लिए उन्होंने बड़े-बड़े हॉडिंग लगवाए थे। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को रैली में आने के लिए ट्वीट के जरिए सभी को आमंत्रित किया। लेकिन उन्हें रैली में आने से मना कर दिया गया। जिसके चलते जयंत चौधरी को काफी परेशान हो गए। उन्हें लगने लगा की बीजेपी ने उनके साथ बड़ा खेला कर दिया है।
बिजनौर में रैली-
इसके साथ ही बिजनौर में योगी आदित्यनाथ ने रैली की, वहां से जयंत चौधरी की पार्टी के प्रत्याशी को टिकट मिला है। इसलिए बिजनौर की रैली में जयंत चौधरी का शामिल होना तो संभव ही था। लेकिन बिजनौर की रैली में भी जयंत चौधरी शामिल नहीं हुए। ऐसा कहा जा रहा है कि उनके उपस्थित ना होने पर उनके कार्यकर्ता काफी परेशान हो गए। विशेषज्ञों का कहना है कि रैली मे शामिल ना होने के बाद जयंत चौधरी ने एक ट्वीट तक नहीं किया है। उनका रैली में शामिल ना होना यह संकेत देता है कि बीजेपी की ओर से उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। क्योंकि जयंत चौधरी रैली मे शामिल क्यों नहीं हुए इसे लेकर उनके या फिर उनके कार्यकर्ताओं की ओर से कोई जवाब नहीं दिया है।
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कयास लगाए जा रहे हैं-
उनके रैली में शामिल ना होने को लेकर जब सवाल किए गए तो जवाब में कहा गया कि उनकी गाड़ी खराब हो गई। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि गाड़ी का खराब होना रैली में शामिल ना होने के लिए कोई ठोस कारण नहीं है। क्योंकि उनके साथ गाड़ियों का पूरा काफिला चलता है तो अगर एक गाड़ी खराब होती है तो दूसरी में भी आया जा सकता है। इसलिए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी कि ओर से ही उन्हें रैली में शामिल ना होने के लिए कहा गया है।
इसके साथ ही अब कहा जा रहा है कि अब जयंत चौधरी को भी महसूस हो गया है कि बीजेपी ने उनके साथ बड़ा गेम खेला है। लेकिन अब उनके पास कोई और रास्ता नहीं है। क्योंकि पहले ही वह ही अखिलेश यादव से अपने रिश्ते खराब कर चुके हैं अब वह वहां वापस नहीं जा सकते। अब सवाल यह उठ रहा है कि जयंत चौधरी को जाट समुदाय के लिए बड़ा चेहरा माना जाता है। क्योंकि उनके दादा जी चौधरी चरण सिंह ने जाट समुदाय के लिए बहुत कुछ किया था। लेकिन अब उन्हीं के शहरों में बीजेपी की ओर से उन्हें इग्नोर किया जा रहा है। अब इसके बाद जयंत चौधरी क्या करेंगे।
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