Supreme Court: जब भी हम काले कोट के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में वकीलों की इमेज बन जाती है। पूरे देश की अदालत में वकील की पहचान काला कोट माना जाता है और सालों से वकील इस काले कोट को पहनते हुए नजर आ रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अब इस काले कोर्ट को लेकर याचिका दायर की गई है। जानकारी के मुताबिक, साल 1961 के एडवोकेट एक्ट में संशोधन के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
Supreme Court में दायर याचिका-
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक, अदालत देश की सभी बार काउंसलिंग को आदेश जारी करें, कि गर्मी के महीने में काले कोट पहनने से वकीलों की मुश्किलों को लेकर सूची तैयार की जाए। इसके साथ ही इस याचिका में यह भी कहा गया है कि गर्मी में काले कोर्ट को पहनने से शरीर को परेशानी होती है।
क्यों नहीं पहनना चाहते काला कोट-
गर्मियों के समय में इस काले कोट से बीमारी भी होने का डर रहता है, याचिका कर्ता शैलेंद्र त्रिपाठी का कहना है कि काला कोर्ट पहनने से सेहत, कार्य क्षमता और स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव पड़ता है। इसके अध्ययन के लिए एक स्टडी भी होनी चाहिए। त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि एडवोकेट ने अपील किया कि भारत के परंपरागत पोजीसन के लिए ड्रेस कोड के नियम में कुछ बदलाव आना चाहिए।
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भौगोलिक स्थिति-
मैदानी इलाकों में गर्मी बहुत ज्यादा पड़ रही है, यह लगातार कई महीनों तक अपना असर दिखाने वाली है। ऐसे में काला कोट पहनकर कोट आना जाना बहुत मुश्किल होता है। याचिका कर्ता का कहना है कि काले कोट अंग्रेजों के समय में पहने जा रहा थे। जिसे हमारे देश की भौगोलिक स्थिति को देखकर नहीं शुरू किया गया। अंग्रेजों ने काले कोट का चलन ब्रिटेन के मौसम की स्थिति को देखकर रखा था।
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