Nitish Kumar: हमेशा से ऐसा कहा जाता है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार चाहे वह RJD हो या फिर बीजेपी बिहार में नीतीश कुमार के बिना सत्ता में नहीं आ सकते। नीतीश कुमार राजनीति के ऐसे बैलेंसिंग फैक्टर हैं, जो की जिधर भी जाते हैं वह पक्ष भारी हो जाता है। एक बार फिर से जब आम चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ रहे हैं तो यह बात साफ हो चुकी है, कि किसी भी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलने जा रही।
सत्ता का समीकरण (Nitish Kumar)-
भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है और लगता है कि इस बार 250 पार भी नहीं जा पाएगी। हालांकि एनडीए को स्पष्ट बहुमत से 15 से 20 सीटें ज्यादा मिलती दिख रही हैं, लेकिन दूसरी और इंडिया अलाइंस के भी कुछ और सहयोगियों को मिला लें, तो सत्ता का समीकरण सेट हो सकता हैय़ इस नई परिस्थिति में एक बार फिर से नितिश कुमार चर्चा का केंद्र बन चुके हैं। नीतीश कुमार को लेकर पोस्ट काफी वायरल हो रहे हैं।
नीतीश सबके हैं (Nitish Kumar)..-
इस पोस्ट में लिखा है कि, नीतीश सबके हैं.., इस पोस्ट के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की है कि लोकसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने वाली नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का महत्व गठबंधन की राजनीति में बढ़ चुका है। इसके साथ ही नीतीश कुमार की अहमियत भी बढ़ गई है। ऐसे बहुत से पोस्ट एक्स पर वायरल हो रहे हैं। अब जब नीति सबके हैं वाला पोस्ट वायरल हुआ, तो क्योंकि उनकी पुरानी राजनीति कुछ इस प्रकार की है पाला बदलने की राजनीति के जानकार कई कयास लगा रहे हैं। पाला बदलने के बाद भी वह केंद्र में बने रहते हैं और राजनीति उनके युद्ध घूमती रहती है।
नीतीश कुमार जी तो सबके हैं। pic.twitter.com/wrJMNjJIDS
— Pradeep Maurya (@folkpradeep) June 4, 2024
Nitish Kumar की पाला बदल राजनिति-
ऐसे बहुत से उदाहरण बिहार में देखने को मिले हैं, जब नीतीश कुमार लालू यादव के साथ रहे, तो लालू यादव सत्ता में हैं। लेकिन जब उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया, तो साल 2005 में भाजपा के साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा और सियासी लड़ाई जीत कर सत्ता पर बैठे। इसके बाद साल 2015 में लालू यादव के साथ राजद और जेडीयू गठबंधन कर बिहार के सत्ता में आए। इसी बीच साल 2017 में लालू की राजद का साथ छोड़कर भाजपा का हाथ थाम लिया, इसके बाद साल 2020 में विधानसभा भाजपा के साथ लड़े और जीत फिर सरकार बनाई। लेकिन साल 2022 के बीच में उन्होंने फिर से पाला बदलकर आरजेडी के साथ मिलकर सत्ता बनाई।
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हालांकि भाजपा के विपक्ष में इंडिया अलायंस बनाने की पहल करने वाले नीतीश कुमार कुछ दिन में ही भाजपा के विरोधी खेमे में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ा और राजद के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। इतने घटनाक्रम के बीच एक बात बड़ी रही कि नीतीश कुमार ही इस राजनीति का केंद्र बने रहे हैं। अब जब आम चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, तो ऐसा कहा जा रहा है कि एक बार फिर से वह बड़ा फैसला ले सकते हैं और पाला बदलकर इंडिया एयरलाइंस का रूख कर सकते हैं।
क्या इंडिया अलायंस का हाथ थामेंगे नीतीश-
हालांकि की नीतीश कुमार के सहयोगी नेता मदन साहनी ने इस बात का पूरी तरह से खंडन कर दिया। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के साथ मजबूती से बने रहेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनने की राह प्रस्तुत करेंगे। लेकिन चुनाव परिणाम में सत्ता का गणित देखने के साथ ही इंडिया एलाइंस और एनडीए की ओर से किला बंदी शुरू हो चुकी है। इस सबके बीच नीतीश सबके हैं, पोस्टर वायरल हो रहा है जिससे सियासी कयासें भी बढ़ने लगी हैं।
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