बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में 240 सीटों के साथ सबसे बडी पार्टी है, इसलिए राष्ट्रपति भी प्रधानमंत्री मोदी को शपथ ग्रहण के लिए बुलाएगी। खबर है कि मोदी 8 जून को शपथग्रहण करेंगे और एनडीए के सहयोगी दलों के साथ मिलकर लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। लेकिन विपक्ष का प्लान कुछ ओर ही है और वो संसद के पहले सत्र की शुरुआत में ही मोदी सरकार के साथ खेला कर सकता है।
विपक्ष नीतीश और चंद्रबाबू के संपर्क में-
इंडिया गठबंधन वाला भारत का विपक्ष फिलहाल जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू से बार-बार संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं। ये दोनों ही दल फिलहाल बीजेपी वाले एनडीए गठबंधन के साथ है। सूत्रों के अनुसार इंडिया इन दोनों पार्टियों को उपप्रधानमंत्री का पद देने की पेशकश कर रहा है। आज ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को एक साथ विमान में यात्रा करते और बातचीत करते देखा गया है।
संसद स्पीकर के चुनाव में होगा खेला-
विपक्ष को ये भली-भांती पता है कि राष्ट्रपति किसी भी कीमत पर उन्हें सरकार बनाने के लिए न्योता नहीं देंगी। इसलिए उनका यहां कोई चांस नहीं है लेकिन वो संसद में अपना जौहर दिखा सकते हैं अगर नीतीश और चंद्रबाबू उनका साथ दे तो। नीतीश और चंद्रबाबू नायडू अगर मोदी से खुश नहीं होते हैं तो वो विपक्ष का रुख कर सकते हैं।
उस स्थिती में संसद में सबसे पहले पहले सत्र में स्पीकर का चुनाव होगा उसमें अगर सदस्य बीजेपी को हरा दें तो वहीं से बीजेपी सरकार अल्पमत में आ सकती है। लेकिन ये खेला नीतीश और नायडू के ही हाथ में है। साथ ही एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना से भी विपक्ष संपर्क साध रहा है ताकी वो जादूई आंकडे को जोड-तोड से छू पाए।
कैसे होता है स्पीकर का चयन-
भारतीय संविधान के अनुसार, स्पीकर का चयन लोकसभा अध्यक्ष के माध्यम से होता है। लोकसभा के सदस्यों की एक मतगणना द्वारा स्पीकर निर्वाचित होता है। उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया सदस्यों के बीच आयोजित की जाती है। स्पीकर की पदाधिकारिता उन्हें बढ़ी महत्वपूर्णता के कारण आता है, क्योंकि वह सभा की कार्यवाही को नियंत्रित करता है और सदस्यों की बातचीत को संचालित करता है।
संसद में सरकार के बहुमत साबित करने की प्रक्रिया-
संसद में सरकार बहुमत को साबित करने के लिए वहाँ की अधिकांश सीटों का समर्थन प्राप्त करना आवश्यक होता है। लोकसभा में, बहुमत को गणना करने के लिए 543 सीटों में से 272 सीटों का समर्थन चाहिए। राज्यसभा में, सरकार को बहुमत की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन यह लोकसभा के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सरकार बहुमत को साबित करने के लिए नीतिगत और राजनीतिक समर्थन प्राप्त करती है, जिससे वह सांसदों के मतों का समर्थन प्राप्त कर सके।