Nalanda University: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज नालंदा विश्वविद्यालय की भव्य इमारत का उद्घाटन करने वाले हैं, इसके साथ ही देश का यह पहला प्राचीन विश्वविद्यालय एक नया इतिहास रचने जा रहा है। अब सालों पहले खाक में मिला दी गई नालंदा विश्वविद्यालय की भव्य इमारत 800 सालों बाद फिर से बोल उठेगी। भारत के पहले और दुनिया के दूसरे सबसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास बहुत ज्यादा दिलचस्प है। इसने सैकड़ों सालों में जो शोहरत की बुलंदियों को छुआ है, इसी तरह से यह खुद को राख होते हुए भी देखा है।
Nalanda University–
मोहम्मद बख्तियार खिलजी ने साल 1199 में नालंदा विश्वविद्यालय को न सिर्फ ध्वस्त कर दिया था, बल्कि उसमें आग भी लगवा दी गई थी। इसकी लाइब्रेरी में रखी लाखों किताबें महीनों तक जलती रही, अब सालों बाद किताबों का भंडार और शिक्षा का अंतरराष्ट्रीय केंद्र खो देने का दर्द भूल कर नालंदा विश्वविद्यालय की कल्पना भारत और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन देश के बीच सहयोग के रूप में की गई है।
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना (Nalanda University)-
नालंदा विश्वविद्यालय का समृद्ध भारत के इतिहास से गहरा नाता है और लगभग 1600 साल पहले ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। इस विश्वविद्यालय को दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालय में से एक माना जाता था। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का परिषद बहुत बड़े क्षेत्र तक फैला हुआ है। अवशेषों को देखकर ही इसकी भव्यता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
विशाल विश्वविद्यलय-
उस समय नालंदा में 300 कमरे, 9 विशाल पुस्तकालय और 7 बड़े कमरे हैें। नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस में 40 क्लासेस वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी कुल बैठने की क्षमता लगभग 900 है। इसमें दो ऑडिटोरियम भी बनाए गए हैं, और हर एक की कैपेसिटी 300 सीट की हैं, लगभग 550 स्टूडेंट की कैपेसिटी वाला एक हॉस्टल नालंदा यूनिवर्सिटी में है।
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नेट जीरो कार्बन कैंपस-
इसके अलावा और भी बहुत सी सुविधाएं दी गई है, जिसमें एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र 2000 लोगों की कैपेसिटी वाला एमपी थियेटर, एक खेल परिसर और फैकल्टी क्लब भी शामिल है। यह दुनिया का सबसे बड़ा नेट जीरो कार्बन कैंपस है। यह परिसर को कंपलेक्स सोलर प्लांट, घरेलू और पेयजल ट्रीटमेंट प्लांट, बेकार पानी का दोबारा इस्तेमाल करने के लिए एक वॉटर रीसाइकलिंग प्लांट है। 100 एकड़ वॉटर यूनिट और बहुत सी पर्यावरणीय अनुकूल सुविधा इसे आत्मनिर्भर बनाती है।
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