नई दिल्ली। INDIA गठबंधन के प्रमुख नेता और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली और हरियाणा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन की कोई संभावना नहीं है। हालांकि, महाराष्ट्र और झारखंड में INDIA गठबंधन एकजुट होकर चुनाव लड़ेगा।
हरियाणा में गठबंधन को लेकर जयराम रमेश ने कहा-
जयराम रमेश ने कहा, “हरियाणा में हमने लोकसभा चुनाव के लिए AAP को एक सीट दी थी, लेकिन मुझे नहीं लगता कि विधानसभा चुनावों के लिए INDIA गठबंधन वहां होगा। दिल्ली में तो AAP ने खुद ही कह दिया है कि विधानसभा चुनावों के लिए INDIA गठबंधन नहीं होगा।”
उन्होंने आगे बताया कि पंजाब में भी INDIA गठबंधन नहीं होगा। यहां कांग्रेस और AAP ने लोकसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था।
ये भी पढें- शहीद हुए अग्निवीरों को मुआवजा न मिलने वाले राहुल गांधी के बयान पर सेना ने किया बड़ा खुलासा…
महाराष्ट्र और झारखंड में एकजुटता-
रमेश ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के साथ गठबंधन होगा। वहीं झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जाएगा।
राज्य नेतृत्व की भूमिका-
जयराम रमेश ने बताया कि गठबंधन की रणनीति राज्य के नेताओं और सहयोगी दलों की सहमति पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा, “जहां राज्य कांग्रेस नेता और संबंधित गठबंधन दल सहमत होंगे, वहां गठबंधन होगा। विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन का कोई एक फॉर्मूला नहीं है।”
ये भी पढें- बदलने वाला है संसद का गणित? सालों से बीजेपी को समर्थन देने वाली पार्टी ने ही किया भाजपा का विरोध..
पश्चिम बंगाल की स्थिति-
रमेश ने पश्चिम बंगाल के संदर्भ में कहा, “मैंने पहले भी कहा था कि INDIA गठबंधन लोकसभा चुनावों के लिए है, लेकिन जिन राज्यों में परिस्थितियां ऐसी हैं कि हमारे राज्य के नेता और हमारे गठबंधन सहयोगी चाहते हैं, वहां गठबंधन रहेगा।”
आगामी चुनावों का कार्यक्रम-
झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि दिल्ली में अगले साल के शुरू में चुनाव होंगे।
INDIA गठबंधन की यह रणनीति दर्शाती है कि राष्ट्रीय स्तर पर एकजुट होने के बावजूद, स्थानीय राजनीतिक परिदृश्य और राज्य स्तर के नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह गठबंधन की लचीली रणनीति को भी प्रदर्शित करता है, जो हर राज्य की विशिष्ट परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने पर जोर देती है।
 
					 
							 
			 
                                 
                             