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Dastak India > Home > देश > जेडीयू के बाद कांवड यात्रा विवाद पर एनडीए के सहयोगी दल आरएलडी ने भी किया बीजेपी से किनारा, कहा शराब पीने से आपका धर्म…
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जेडीयू के बाद कांवड यात्रा विवाद पर एनडीए के सहयोगी दल आरएलडी ने भी किया बीजेपी से किनारा, कहा शराब पीने से आपका धर्म…

Dastak Web Team
Last updated: July 19, 2024 4:00 pm
Dastak Web Team
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UP Name Plate Controversy
Photo Source - Google
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UP Name Plate Controversy: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित खाद्य दुकानों पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस फैसले को लेकर कई नेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। वहीं इस मुद्दे पर राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

Contents
एक विवादास्पद संबंध-गरीबों की आजीविका पर संकट-दोहरे मापदंड पर सवाल-सामाजिक एकता को खतरा-विरोध और समर्थन-संवाद और समझ की आवश्यकता-एकता में विविधता का संदेश-

एक विवादास्पद संबंध-

त्यागी ने कहा, “गांधीजी, चौधरी चरण सिंह और अन्य महान व्यक्तित्वों ने हमेशा धर्म और जाति को पीछे रखने की बात की है। लेकिन आज के राजनेता राजनीति में धर्म और जाति को आगे बढ़ा रहे हैं। मेरा मानना है कि यह कार्रवाई उचित नहीं है।”

उन्होंने सवाल उठाया, “आप गली के ठेलों पर किसी को अपना नाम क्यों लिखवा रहे हैं? उन्हें काम करने का अधिकार है। यह परंपरा बिल्कुल गलत है। यह ग्राहक पर निर्भर है कि वे कहां से खरीदारी करना चाहते हैं।”

#WATCH | Delhi: On 'nameplates' on food shops on Kanwar route in Uttar Pradesh, RLD National General Secretary Trilok Tyagi says, "Gandhiji, Chaudhary Charan Singh and other personalities have spoken about keeping religion and caste behind. Now, politicians are taking forward… pic.twitter.com/i9FqxIbsVu

— ANI (@ANI) July 19, 2024

गरीबों की आजीविका पर संकट-

त्यागी ने इस नीति को गरीबों और छोटे व्यापारियों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा, “ये छोटी दुकानें गरीबों द्वारा चलाई जाती हैं। आप उन पर उंगली उठा रहे हैं। यह अन्यायपूर्ण है।”

स्थानीय दुकानदार रमेश वर्मा ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “मैं पिछले 15 सालों से यहां छोटी सी चाय की दुकान चला रहा हूं। अब मुझे डर है कि मेरा नाम देखकर कुछ लोग मेरी दुकान पर आना बंद कर देंगे।”

दोहरे मापदंड पर सवाल-

त्यागी ने राजनेताओं के दोहरे मापदंड पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा, “क्या शराब पीने से धार्मिक रूप से भ्रष्ट नहीं होते? क्या यह केवल मांस खाने से होता है? तो फिर शराब पर प्रतिबंध क्यों नहीं है? वे शराब के बारे में क्यों नहीं बोलते?”

उन्होंने आगे कहा, “क्योंकि जो व्यापार करते हैं, उनका एक गठजोड़ है, यह शक्तिशाली लोगों का खेल है। मैं मांग करता हूं कि शराब पर भी प्रतिबंध लगाया जाए।”

सामाजिक एकता को खतरा-

समाजशास्त्री डॉ. अनुपमा सिंह ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा, “ऐसे कदम समाज में विभाजन पैदा कर सकते हैं। यह न केवल आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित करेगा, बल्कि लंबे समय से चली आ रही सामाजिक सद्भावना को भी नुकसान पहुंचा सकता है।”

स्थानीय निवासी सुनीता शर्मा ने अपनी राय साझा करते हुए कहा, “हमारे मोहल्ले में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग रहते हैं। हम सब एक-दूसरे की दुकानों से खरीदारी करते हैं। यह नया नियम हमारे बीच की एकता को तोड़ सकता है।”

विरोध और समर्थन-

इस मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। जहां कुछ दल इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई अन्य इसे भेदभावपूर्ण बता रहे हैं। सत्तारूढ़ दल के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह कदम सुरक्षा कारणों से उठाया गया है। इसका उद्देश्य किसी भी समुदाय को निशाना बनाना नहीं है।”

वहीं, विपक्षी दल के प्रवक्ता ने कहा, “यह स्पष्ट रूप से एक समुदाय को लक्षित करने का प्रयास है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए।”

संवाद और समझ की आवश्यकता-

इस विवाद के बीच, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों ने शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने और सभी पक्षों से बातचीत करने का आग्रह किया है।

ये भी पढ़ें- कांवड यात्रा के दौरान नेमप्लेटों वाले आदेश पर एनडीए ने बीजेपी को घेरा, जेडीयू ने कहा…

प्रसिद्ध समाजसेवी राजेंद्र यादव ने कहा, “हमें इस समय संयम और समझदारी से काम लेने की जरूरत है। कांवड़ यात्रा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसे किसी भी तरह के विवाद से दूर रखा जाना चाहिए।”

एकता में विविधता का संदेश-

यह विवाद हमें याद दिलाता है कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है। ऐसे समय में जब देश विकास के नए आयाम छू रहा है, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखें। धार्मिक यात्राएं और त्योहार हमारी एकता को मजबूत करने का माध्यम होने चाहिए, न कि विभाजन का कारण

ये भी पढ़ें- UP सरकार ने क्यों दिए दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश? यहां जानिए बड़ा कारण

TAGGED:Kanwar YatraReligious HarmonyrldTrilok TyagiUP Name Plate Controversyuttar pradesh politics
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