जूली चौरसिया
ED: काफी समय से यह चर्चा चली आ रही है कि ईडी और सीबीआई बीजेपी के लिए काम करती है, क्या सच में ऐसा ही है? विशेषज्ञों की मानें तो यह सवाल उठने लाज़मी भी हैं। द् इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी के 95 प्रतीशत केस मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से सिर्फ विपक्ष के नेताओं (121 में से 115) के पर हैं और पिछले एक महीने में अदालत ने ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए विपक्ष के नेताओं हेमंत सोरेन और मनीष सिसोदिया को रिहा कर दिया। वहीं कुछ समय पहले राहुल गांधी ने संसद में और संसद के बाहर भी यह बात साफ-साफ कही थी, कि ईडी और सीबीआई जैसी जांच एजेंसियां बीजेपी के लिए काम करती हैं। जिसका कारण यह निकला की अब वह ईडी के निशाने पर आ चुके हैं। कुछ समय पहले ही उन्होंने ट्वीट के ज़रिए यह जानकारी दी थी, कि उनके सूत्रों ने बताया है कि ईडी उनके यहां छापा मारने वाली है।
Apparently, 2 in 1 didn’t like my Chakravyuh speech. ED ‘insiders’ tell me a raid is being planned.
Waiting with open arms @dir_ed…..Chai and biscuits on me.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 1, 2024
दो और बड़े नेता ED के निशाने पर-
सूत्रों के मुताबिक सिर्फ राहुल गाधी ही नहीं उनके साथ दो और बड़े नेता ईडी के निशाने पर हैं। बिना सबूत कई विपक्षी नेताओं पर ऐसे इल्ज़ाम लगाए गए हैं। हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को रिहा किया और साथ ही ईडी को फटकार लगाई कि 17 महीनों तक उन्हें जेल में बंद रखा और उनके खिलाफ इतने महीनों में भी वह एक सबूत नहीं जुटा पाए। सूत्रों की मानें तो ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनील देशमुख पर 100 करोड़ रुपए की धांधली का आरोप लगाया था, हालांकि उनके पास से एख करोड़ रुपए भी बरामद नहीं हुए और अदाल ने उन्हें क्लीनचिट दे दी।
राहुल गांधी ED के निशाने पर क्यों?
इसके अलावा हेमंत सोरेन पर भी कुछ समय पहले ज़मीन की डील के मामले में गिरफ्तार किया गया और कुछ समय बाद अदालत ने उन्हें कोई सबूत ना मिलने पर रिहा कर दिया। सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि अब इन नेताओं के रिहा होने के बाद अब तीन और नेताओं राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और अभिषेक बनर्जी को टारगेट किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी का बात की जाए तो इस समय उनकी इंडिया अलायंस आने वाले विधानसभा चुनावों में, तीन राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में बीजेपी पर भारी है। इसलिए उनका ध्यान चुनाव से हटाने उन्हें और उनकी पार्टी को डिस्टर्ब करने के लिए उन्हें अगला टारगेट बनाया जा रहा है।
तेजस्वी यादव और अभिषेक बनर्जी-
वहीं अगर तेजस्वी यादव की बात कि जाए तो उन्हें लोकसभा चुनाव से पहले ही डिस्टर्ब कर दिया गया था। नहीं तो हो सकता था, कि वह इससे अच्छा प्रदर्शन वह बिहार में कर पाते। अबह उन पर और सिकंजा कसा जा रहा है। यह सब बिहार के चुनावों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। क्योंकि इस समय वह बिहार में इंडिया अलायस को लीड कर रहे हैं। अभिषेक बनर्जी की बात की जाए तो जिस तरह से ममता बनर्जा ने निति आयोग की मिटिंग में सबके सामने बीजेपी को अपमानित किया और मीटींग छोड़ दी साथ ही बीजेपी पर कई इल्ज़ाम लगाए। वहीं उनके भतीजे ने भी चाहे वह संसद में हो या संसद के बाहर लगातार पीएम मोदी और अमित शाह को टारगेट किया। इसलिए उनकी फाइलें खोली जा रही हैं और सबूत जुटाने की कोशिश हो रही है।
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क्या ईडी और सीबाआई बीजेपी के लिए काम करती है?
अब यह सवाल सामने आता है कि क्या सच में ईडी और सीबाआई बीजेपी के लिए काम करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतिहास में ऐसा पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी को बिना सबूत के इतने दिनों तक जेल में रखा गया हो। साथ ही सूत्रों की मानें तो इन नेताओं के पहले सत्ता रुढ़ी पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया गया था। लेकिन जब उन्होंने उस ऑफर को लेने से मना कर दिया, उसके बाद से ही उनके साथ ईडी के केसों का सिलसिला शुरु हो गया।हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इन सभी नेताओं जिनको बेबुनियादी मामले में जेल में रका गया। उन्हें मानहानि का केस करना चाहिए। क्योंकि इससे उनके मान- सम्मान का काफी नुकसान हुआ है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट को ईडी से बड़े-बड़े जैसे 17,000 करोड़ रुपए के मामले पर ध्यान देने के लिए कहना चाहिए। जिसके उन्हें कई सबूत भी मिल सकते हैं, उनकी जांच करनी चाहिए।
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