Smriti Irani: हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की स्मृति ईरानी ने यह दावा किया है कि कांग्रेस के राहुल गांधी का मानना है कि उन्हें सफलता मिल चुकी है और अब वह राजनीतिक पैतरेबाज़ी के लिए नए रास्ते अपना रहे हैं। हाल ही में एक पॉडकास्ट के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा, कि जब वह राहुल जाति के बारे में बात करते हैं, जब वह संसद में सफेद टी-शर्ट पहनते हैं, तो उन्हें पता होता है कि इससे युवाओं में किस तरह का संदेश जाता है। स्मृति ईरानी ने यह भी कहा कि राहुल गांधी खास जनसंख्या को लक्षित करने के लिए सोची समझी चालें चलते हैं।
पिछली रणनिति की आलोचना (Smriti Irani)-
उन्होंने उनकी रणनीतियों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, कि हमें उनके कामों के बारे में गलत नहीं सोचना चाहिए, चाहे वह अच्छे हो या बुरे आप परिपक्व लगें। वह राजनीति की एक अलग शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं। अमेठी से भाजपा की पूर्व सांसद ने कांग्रेस की पिछली रणनिति की आलोचना करते हुए कहा, कि चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी का मंदिरों में जाना, उस समय उन्हें एक संदेश के साथ देखा गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि राहुल गांधी की हालिया राजनीतिक सफलता इन असफल रणनीतियों से दूर रहने से उबरी है।
मंदिर जाने से कोई फायदा नहीं-
ईरानी ने पॉडकास्ट के दौरान कहा कि राहुल गांधी को मंदिर जाने से कोई फायदा नहीं मिला। यह मजाक का विषय बन गया, कुछ लोगों को यह धोखा लगा। इसीलिए जब यह रणनीति काम नहीं आई, तो उन्होंने फायदा उठाने के लिए जाति के मुद्दे का सहारा लिया। स्मृति ईरानी और राहुल गांधी के बीच हमेशा से एक कॉम्पटीशन रहा है। जिसमें राजनीतिक टकराव और सार्वजनिक बहस शामिल है। यह कॉम्पटीशन साल 2014 से शुरु हुई, जब स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार के गढ़ कहे जाने वाले अमेठी क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के लिए खड़ी हुई थी।
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अपमानजनक भाषा-
हालांकि वह 2014 में हार गई, लेकिन उन्होंने 2019 में चुनाव में जीत हासिल की। जब उन्हें राहुल गांधी को हराने के लिए सम्मानित भी किया गया था। जुलाई में राहुल गांधी ने स्मृति ईरानी या किसी अन्य राजनीतिक हस्ती के खिलाफ अपमानजनक भाषा के इस्तेमाल की निंदा की थी और सम्मानजनक बातचीत की अपील की थी। उनकी अपील ईरानी पर व्यक्तिगत हमलो के बाद आई थी। क्योंकि हाल ही के चुनाव हार जाने के बाद उन्हें अपना ऑफिशियल आवासीय घर खाली करना पड़ा था। जिसके बाद से ही उन पर बहुत से व्यक्तिगत हमले किए गए। इसी प्रक्रिया के बीच गांधी ने सम्मानजनक संवाद के महत्व पर ज़ोर दिया।
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