Tirupati Laddu: तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद को लेकर इस समय माहौल गर्माया हुआ है और प्रसाद में इस्तेमाल किए जाने वाले घी के जांच रिपोर्ट में सामने आया है, कि उसमें मछली के तेल और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता था। इस घटना ने पूरे देश के संतों में नाराजगी भर दी है। संतों का कहना है कि तत्काल प्रभाव से मंदिर का ट्रस्ट बोर्ड भंग किया जाना चाहिए। क्योंकि मामला सीधे तौर पर करोड़ों श्रद्धालु की आस्था से जुड़ा हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पवित्र प्रसाद में किसने और क्यों मिलावट की है। जांच किसने करवाई और किस लैब ने इसकी पुष्टि की है, रिपोर्ट में क्या-क्या सामने आया आईए जानते हैं-
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू (Tirupati Laddu)-
बुधवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने यह दावा किया, कि पिछली सरकार के समय तिरुपति मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी और मछली के तेल का इस्तेमाल किया जा रहा था। इसी साल जून में जगनमोहन रेड्डी की पार्टी आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव हारी और नायडू ने NDA की सरकार बनाई। सीएएलएफ और गुजरात के आनंद में मौजूद एचडीबी में एक लैब है। हालांकि 22 जुलाई को मंदिर ट्रस्ट ने एक बैठक की और 23 जुलाई को घी के सैंपल लिए गए थे और जांच के लिए भेजे गए थे। इसकी रिपोर्ट 18 सितंबर को सामने आई। नायडू ने सीधे तत्कालीन जगनमोहन रेड्डी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
लड्डुओं के घी में मिलावट-
नायडू सरकार ने कहा पिछली जगन मोर रेड्डी सरकार ने हिंदूओं की आस्था के साथ खिलवाड़ किया है। मंदिर की पवित्रता को ठेस पहुंचाई है और लोगों की आस्था के साथ भी बहुत बड़ा खिलवाड़ किया है। मेरी सरकार आने के बाद इस पर रोक लगाई गई और जो भी अभी रिपोर्ट में सामने आया है वह जुलाई की है। जांच में यह सामने आया कि लड्डू में जिस घी का इस्तेमाल हो रहा था, वह मिलावटी था। जिसमें फिश ऑइल, एनिमल टेलर और लार्ड की मात्रा भी पाई गई थी।
घी में क्या मिला-
एनिमल टेलर का मतलब पशु में मौजूद फैट से होता है, इसमें लार्ड भी मिला हुआ होता, लार्ड का मतलब जानवरों की चर्बी से है। वहीं इस घी में फिश ऑयल की मात्रा भी पाई गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसाद के लड्डू में सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून, मक्के के बीज, अलसी, गेहूं के बीज, मछली का तेल, कपास के बीज, नारियल, वसा, तेल, एनिमल टेलर और लार्ड शामिल है। तिरुपति बालाजी मंदिर देश के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यहां पर साल हर साल लाखों करोड़ों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
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प्रसाद के रूप में लड्डू-
रोजाना करीब 82 हजार श्रृद्धालु भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन के लिए यहां आते हैं। करीब 3.50 लाख लड्डू यहां पर रोजाना तैयार किए जाते हैं। सभी श्रद्धालुओं का प्रसाद के रूप में लड्डू दिया जाता है। इस पूरी व्यवस्था का संचालन उस कमेटी के द्वारा किया जाता है, जिसका गठन हर 2 साल में आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार करती है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम, इस कमेटी का नाम है, प्रसाद के लड्डू को बनाने के लिए यही कमेटी सभी सामग्री खरीदती है।
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