Free Schemes: जल्द ही महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और चुनाव आते ही सियासत में हलचल मच जाती है और चुनाव के समय बीते कई सालों से मुफ्त की योजनाओं का जैसे बाजार लग रहा है। जिनमें वोटर फस ही जाते हैं, बस की यात्रा हो, राशन हो या फ्री बिजली हो, हर राज्य में चुनाव के समय राजनीतिक पार्टी लोकलुभावन योजनाओं को फ्री में देने का ऐलान कर देते हैं। जब राजनीतिक दल की चुनाव में जीत होती है, तो उस सरकारी योजना को राज्य में लागू कर दिया जाता है।
फ्री योजनाओं के वादे-
चुनाव के दौरान फ्री योजनाओं के वादे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की गई है, कि चुनाव के दौरान किसी भी तरह की फ्री योजना को रिश्वत माना जाए। इसके साथ ही चुनाव आयोग को इलेक्शन के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा दी जाने वाली मुफ्त योजनाओं के वादे को रोकने पर तत्काल कदम उठाना चाहिए।
चुनाव आयोग को नोटिस-
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग और केंद्र को नोटिस जारी किया है। हालांकि अन्य लंबित मामलों के साथ पीठ ने इस याचिका को जोड़ दिया है। पीठ ने इस याचिका को अन्य लंबित मामले के साथ जोड़ दिया हाै। पीठ ने याचिका कर्ताओं को छूट देते हुए कहा, कि वह सभी अधिकारियों पर जल्द ही सुनवाई के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
चुनाव के दौरान-
देश में बीते कुछ समय से चुनाव के समय पर फ्री योजनाएं देने की मांग जोर पर होती है। लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक उसकी गूंज सुनाई देती है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने बिजली और मुक्ति पानी देने का वादा किया। वहीं कांग्रेस ने भी कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इसी तरह के वादे किए।
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मुफ्त सरकारी योजनाएं-
अब बीजेपी शासित राज्य में भी मुफ्त सरकारी योजनाएं चल रही हैं। चुनावी रेवड़ियों के वादे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही कई याचिकाएं लंबित हैं। पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमना की पीठ पहले ही फ्री योजना के मामले में सुनवाई कर चुकी है। हाल ही में डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस मामले में सुनवाई की है।
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